16 अप्रैल 2025
तेलंगाना के
हैदराबाद शहर के कांचा गाचीबोवली इलाके में बड़े पैमाने पर जंगल काटे जाने को लेकर
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने कहा – "इतनी भी जल्दबाजी क्या थी? इतने सारे बुलडोजर एक साथ
क्यों लगाए गए?"
क्या है पूरा मामला?
तेलंगाना सरकार ने
कांचा गाचीबोवली इलाके में विकास कार्यों के नाम पर 100
एकड़ से ज्यादा जंगल साफ कर दिया।
इस इलाके में पेड़ों को तेजी से काटा गया, जिससे न
सिर्फ हरियाली को नुकसान हुआ, बल्कि वहां रहने वाले जंगली
जानवर भी बेघर हो गए।
इस मामले में
सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को ही सभी विकास कार्यों पर रोक लगा
दी थी। कोर्ट ने कहा था कि अब कोई नई गतिविधि नहीं होगी,
सिर्फ पहले से मौजूद पेड़ों की सुरक्षा की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने
क्या कहा?
सुनवाई के दौरान जस्टिस
बीआर गवई की बेंच ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा:
- “अगर आप अपने मुख्य
सचिवों को बचाना चाहते हैं, तो पहले बताइए कि इन 100
एकड़ जमीन को कैसे बहाल करेंगे?”
- “हम स्पष्टीकरण नहीं
चाहते, हमें समाधान चाहिए।”
- “बिना अनुमति इतने सारे
पेड़ काट दिए गए, इतने सारे बुलडोजर 3 दिन की छुट्टियों में क्यों लाए गए?”
कोर्ट ने वीडियो
फुटेज का हवाला देते हुए कहा कि शाकाहारी जानवर shelter
की तलाश में भागते दिखे, और
कुछ को आवारा कुत्तों ने काटा। इससे साफ है कि पर्यावरण और जीव-जंतुओं को
गंभीर नुकसान पहुंचा है।
कोर्ट ने उठाए
गंभीर सवाल
- पेड़ काटने से पहले कोर्ट की
अनुमति क्यों नहीं ली गई?
- क्या सरकार को पर्यावरण की
चिंता नहीं है?
- जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए
क्या किया जा रहा है?
कोर्ट ने साफ कहा
कि अगर समाधान नहीं मिला, तो राज्य सरकार के कुछ
अधिकारियों को जेल भी भेजा जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने
एक बार फिर साफ कर दिया कि पर्यावरण की रक्षा से बड़ा कोई विकास नहीं हो सकता।
कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है कि जंगल की कटाई के नुकसान की भरपाई कैसे की
जाएगी और वन्यजीवों को फिर से सुरक्षित कैसे किया जाएगा।
यह मामला अब देशभर
में वन संरक्षण और सरकारी जवाबदेही को लेकर चर्चा में है।