10 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में प्रवर्तन निदेशालय (ED)
को कहा है कि अगर वह अपने मौलिक अधिकारों की बात करता है, तो उसे दूसरों के मौलिक अधिकारों की भी चिंता करनी चाहिए। कोर्ट यह
टिप्पणी तब कर रहा था जब ईडी ने 2015 के छत्तीसगढ़ नागरिक
आपूर्ति निगम (NAN) घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार
के मामले को राज्य से बाहर ट्रांसफर करने की याचिका दायर की थी।
कोर्ट
ने क्या कहा?
सुनवाई
के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर
जनरल एस. वी. राजू से हल्के-फुल्के लेकिन तीखे अंदाज में पूछा –
"ईडी रिट याचिका कैसे दाखिल कर सकता है? आपके कौन-से
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है?"
इस
पर जब ईडी कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया, तो उसने
खुद ही याचिका वापस लेने की अपील की। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए याचिका का
निपटारा कर दिया।
मज़ाक में लेकिन गंभीर संदेश
जस्टिस ओका ने हंसते हुए कहा –
"अगर आप कह रहे हैं कि ईडी के भी मौलिक अधिकार हैं, तो
आपको दूसरों के मौलिक अधिकारों की भी चिंता होनी चाहिए।"
इस
पर ASG
राजू ने जवाब दिया –
"हमें चिंता है – लेकिन अपराधियों से ज्यादा हम पीड़ितों की चिंता करते
हैं।"
क्या
है यह मामला?
यह
मामला 2015
के उस घोटाले से जुड़ा है, जिसमें छत्तीसगढ़
नागरिक आपूर्ति निगम में धान की खरीद और वितरण में अनियमितताओं के आरोप लगे
थे।
ईडी ने कहा है कि पूर्व IAS अधिकारी
अनिल तुतेजा और अन्य लोग इसमें शामिल हैं और छत्तीसगढ़
सरकार के कुछ अधिकारी जांच को प्रभावित कर रहे हैं। आरोप है कि गवाहों पर दबाव
डालकर उनके बयान भी बदले जा रहे हैं।
पहले
भी उठ चुकी है चिंता
2024
के एक शराब घोटाले के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने अनिल तुतेजा
की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठाए थे। कोर्ट ने नोट किया था कि उन्हें रातभर पूछताछ
के बाद सुबह 4 बजे गिरफ्तार दिखाया गया, जो बेहद चिंताजनक है।
सुप्रीम कोर्ट का संदेश
सुप्रीम
कोर्ट का यह संदेश साफ है – मौलिक अधिकारों की बात केवल संस्थाएं ही नहीं,
आम नागरिक भी कर सकते हैं और जांच एजेंसियों को भी इस संतुलन का
सम्मान करना चाहिए।