मुख्य
बिंदु:
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से
30
अप्रैल 2025 तक ईवी अपनाने पर प्रस्ताव
मांगा।
- दिल्ली-एनसीआर में करीब 85
लाख पुराने वाहन प्रदूषण फैला रहे हैं।
- केंद्र को रिमोट सेंसिंग
टेक्नोलॉजी पर 3 महीने में रिपोर्ट
देने के निर्देश।
सुप्रीम
कोर्ट का बड़ा फैसला: सरकारी विभाग जल्द अपनाएं EV
प्रदूषण
को कम करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने दिनांक 09-04-2025 दिन वुधवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि
वह सरकारी विभागों में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को अपनाने को लेकर 30 अप्रैल 2025 तक एक ठोस प्रस्ताव पेश करे।
जस्टिस
अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की खंडपीठ ने
बुधवार को यह आदेश दिया।
प्रदूषण की बड़ी वजह: पुराने वाहन
सुनवाई
के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने कोर्ट को बताया कि:
- दिल्ली में 60
लाख वाहन ऐसे हैं
जिनकी वैध उम्र खत्म हो चुकी है।
- एनसीआर क्षेत्र में लगभग 25
लाख वाहन ऐसे हैं जो
नियमों के बाहर चल रहे हैं।
- इन वाहनों से प्रदूषण की गंभीर
समस्या बढ़ रही है।
रिमोट सेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल और अध्ययन
कोर्ट
ने सरकार को तीन महीने में एक अध्ययन पूरा करने को कहा है,
जिसमें रिमोट सेंसिंग तकनीक से वाहनों द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण
की निगरानी की जा सके।
रिमोट
सेंसिंग से बिना रोके चलते वाहनों की प्रदूषण स्तर
पर निगरानी हो सकेगी।
सरकार ने और समय मांगा
सरकार
ने कहा है कि उसे इस काम को पूरा करने के लिए 10 से
12 महीने का समय चाहिए।
कोर्ट ने इस पर कहा कि काम तीन महीने में शुरू कर देना होगा
ताकि समय पर समाधान मिल सके।
"सुप्रीम कोर्ट की यह पहल दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में बड़ा कदम है। यदि सरकारी विभाग EV की ओर बढ़ते हैं, तो देश में पर्यावरणीय सुधार को गति मिल सकती है।"