सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ कर दिया कि वह हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश में हस्तक्षेप नहीं करेगा, जिसमें राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) संजय कुंडू और कुछ अन्य अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने पर रोक लगाई गई थी।
यह मामला एक व्यवसायी
को धमकाने से जुड़ा है। आरोप है कि संजय कुंडू और अन्य अधिकारियों ने उस
व्यवसायी पर निजी कंपनी में उसके परिवार के शेयर बेचने के लिए दबाव बनाया था। इसी
मामले में जांच के लिए हाई कोर्ट ने एसआईटी (विशेष जांच दल) बनाई थी।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता
अनुप कुमार रतन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि एसआईटी ने अपनी जांच पूरी कर ली
है और अब आरोपपत्र दाखिल करना बाकी है। लेकिन चूंकि मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन
है,
इसलिए कोर्ट की अनुमति जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट की
पीठ ने कहा कि वह इस चरण में हाई कोर्ट के आदेश में कोई दखल नहीं देगी,
क्योंकि आरोपपत्र दाखिल करने जैसे विषयों पर अंतिम निर्णय अभी हाई
कोर्ट को लेना है।
मुख्य बात:
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है, तो वह हस्तक्षेप नहीं करेगा। आरोपों की सच्चाई और आरोपपत्र दाखिल करने की प्रक्रिया की जांच हाई कोर्ट ही करेगा।यह फैसला
न्यायपालिका की प्राथमिकता को दर्शाता है कि जब तक कोई मामला किसी कोर्ट में लंबित
हो,
तब तक उच्च अदालतों को उस प्रक्रिया में बाधा नहीं डालनी चाहिए,
ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।