“भारतीय न्याय संहिता, 2023 का अध्याय 2 दंडों के विषय में (Of Punishments) : धारा 9- कई अपराधों से बने अपराध की सजा की सीमा।
कई अपराधों से बने
अपराध की सजा की सीमा: जहां
कोई चीज, जो अपराध है, ऐसे भागों से
बनी है, जिनमें से कोई भाग स्वयं अपराध है, वहां अपराधी को उसके ऐसे अपराधों में से एक से अधिक के दंड से दंडित नहीं
किया जाएगा, जब तक कि ऐसा स्पष्ट रूप से उपबंधित न हो।
कहाँ?
(क)
कोई बात किसी ऐसे कानून की दो या अधिक पृथक परिभाषाओं के अंतर्गत आने वाला अपराध
है,
जिसके द्वारा अपराधों को परिभाषित या दंडित किया जाता है; या
(ख)
कई कार्य,
जिनमें से एक या एक से अधिक कार्य स्वयं अपराध का गठन करते हैं,
संयुक्त होने पर भिन्न अपराध का गठन करते हैं,
अपराधी को उससे
अधिक कठोर दण्ड से दण्डित नहीं किया जाएगा जो उसका परीक्षण करने वाला न्यायालय ऐसे
किसी अपराध के लिए दे सकता है।
उदाहरण:
(क)
क,
य को डंडे से पचास वार करता है। यहां क ने पूरी पिटाई करके तथा पूरी
पिटाई को बनाने वाले प्रत्येक वार द्वारा भी य को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का
अपराध किया है। यदि क प्रत्येक वार के लिए दण्डनीय होता, तो
उसे प्रत्येक वार के लिए एक वर्ष की सजा के रूप में पचास वर्ष का कारावास हो सकता
था। लेकिन वह पूरी पिटाई के लिए केवल एक ही दण्डनीय है।
(ख)
किन्तु यदि, जब क, य को पीट
रहा है, य हस्तक्षेप करता है और क, य
पर साशय प्रहार करता है, यहां, चूंकि य
पर किया गया प्रहार उस कार्य का भाग नहीं है जिसके द्वारा क, य को स्वेच्छा से क्षति पहुंचाता है, अतः क, य को स्वेच्छा से क्षति पहुंचाने के लिए एक दण्ड से दण्डनीय है और य पर
किए गए प्रहार के लिए दूसरे दण्ड से दण्डनीय है।
संक्षिप्त विवरण
भारतीय न्याय
संहिता, 2023 धारा 9
उस स्थिति में दंड की सीमा को संबोधित करती है जब किसी अपराध में कई भाग या कार्य
शामिल होते हैं। यह निर्धारित करता है कि यदि अपराध में कई कार्य या परिभाषाएँ
शामिल हैं, तो अपराधी को किसी एकल अपराध के लिए
न्यायालय द्वारा निर्धारित अधिकतम दंड से अधिक कठोर दंड नहीं दिया जा सकता है। यह
धारा सुनिश्चित करती है कि किसी अपराधी को एक ही आपराधिक कृत्य के लिए कई बार
दंडित नहीं किया जाता है, सिवाय इसके कि कानून द्वारा विशेष
रूप से प्रावधान किया गया हो।
उदाहरण
जो व्यक्ति बार-बार
किसी दूसरे व्यक्ति पर डंडे से वार करता है, उसे
चोट पहुँचाने के पूरे कृत्य के लिए एक ही सज़ा दी जाती है,
न कि हर एक वार के लिए। हालाँकि, अगर वह
व्यक्ति उसी घटना के दौरान किसी तीसरे व्यक्ति पर वार करता है, तो उसे हर अलग-अलग कृत्य के लिए अलग-अलग सज़ा दी जा सकती है।
यदि कोई व्यक्ति एक
ही घटना के दौरान चोरी और हमला जैसे कई आपराधिक कृत्य करता है जो अलग-अलग
परिभाषाओं के अंतर्गत आते हैं, तो कुल सजा, न्यायालय द्वारा सबसे गंभीर व्यक्तिगत अपराध के लिए दी गई सजा से अधिक
नहीं हो सकती।
विशेष तथ्य
1. कई अपराधों से बने अपराध की परिभाषा:
o यदि
किसी अपराध में कई अलग-अलग कृत्य शामिल हैं, जिनमें से
प्रत्येक स्वयं एक अपराध हो सकता है, तो अपराधी को इनमें से
केवल एक के लिए दंडित किया जाएगा, जब तक कि कानून में विशेष
रूप से अन्यथा न कहा गया हो।
2. सजा की सीमा:
o अपराधी
को उससे अधिक कठोर दंड नहीं दिया जा सकता जो किसी एकल अपराध के लिए न्यायालय
द्वारा दिया जा सकता है।
o यदि
किसी अपराध में कई कार्य जुड़े हैं, तो
न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि कुल सजा उचित और न्यायसंगत हो।
3. एक ही अपराध के लिए बार-बार दंड नहीं:
o यदि
कोई अपराध कई छोटे भागों में बंटा हुआ है, तो अपराधी
को प्रत्येक भाग के लिए अलग-अलग सजा नहीं दी जाएगी।
o उदाहरण:
अगर कोई व्यक्ति लगातार 50 बार किसी को चोट पहुँचाता
है, तो उसे हर वार के लिए अलग-अलग सजा नहीं मिलेगी, बल्कि पूरी घटना के लिए एक ही सजा मिलेगी।
4. अलग-अलग अपराधों के लिए सजा:
o यदि
एक ही घटना में दो या अधिक अलग-अलग अपराध किए गए हैं,
तो अपराधी को हर अपराध के लिए अलग-अलग सजा मिल सकती है।
o उदाहरण:
यदि किसी व्यक्ति ने चोरी भी की और हमला भी किया, तो
दोनों अपराधों की सजा अलग-अलग दी जाएगी।
5. न्यायिक विवेक:
o न्यायालय
को यह अधिकार है कि वह अपराध की प्रकृति को देखते हुए उचित दंड तय करे।
o यदि
किसी अपराध में कई कृत्य शामिल हैं, तो
न्यायालय तय करेगा कि कौन सा अपराध सबसे गंभीर है और उसी के अनुसार सजा निर्धारित
की जाएगी।
6. सजा का उद्देश्य:
o यह
धारा यह सुनिश्चित करती है कि अपराधियों को उचित दंड मिले और उन्हें एक ही अपराध
के लिए कई बार दंडित न किया जाए।
o न्यायपालिका
की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इस धारा की महत्वपूर्ण भूमिका है।
7. नए कानून के तहत परिवर्तन:
o भारतीय
दंड संहिता (IPC) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (BNS)
लागू की गई है, और इसमें धारा 9 को अपराधों की सजा की सीमाएं स्पष्ट करने के लिए शामिल किया गया है।
o यह
प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और न्यायसंगत बनाने के लिए तैयार किया
गया है।
"भारतीय न्याय संहिता की धारा 9 अपराधों के लिए सजा की सीमा तय करने और अनावश्यक कठोरता से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह सुनिश्चित करता है कि अपराधियों को न्यायसंगत दंड मिले और उन्हें एक ही अपराध के लिए कई बार दंडित न किया जाए, जब तक कि कानून विशेष रूप से ऐसा प्रावधान न करे।"
भारतीय न्याय
संहिता धारा 9 से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. बीएनएस
धारा 9 क्या कहती है?
उत्तर:
भारतीय न्याय संहिता (BNS) धारा 9 इस सिद्धांत को निर्धारित करती है कि यदि कोई अपराध कई भागों या कृत्यों
से मिलकर बना है, और उन भागों में से प्रत्येक स्वयं एक
अपराध है, तो अपराधी को उनमें से केवल एक ही अपराध के लिए
दंडित किया जाएगा, जब तक कि कानून स्पष्ट रूप से कुछ और न
कहे।
2. बीएनएस
धारा 9 का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए
कई बार सजा न दी जाए। यह अपराधों की परिभाषा और दंड के निर्धारण में स्पष्टता लाने
के लिए लागू किया गया है।
3. क्या
बीएनएस धारा 9 के तहत सभी मामलों में केवल एक ही सज़ा दी
जाएगी?
उत्तर:
नहीं,
अगर किसी अपराध में कई अलग-अलग कृत्य शामिल हैं, जो अलग-अलग अपराधों की श्रेणी में आते हैं, तो
अपराधी को उन सभी के लिए दंड मिल सकता है। हालांकि, कुल दंड
न्यायालय द्वारा निर्धारित अधिकतम सजा से अधिक नहीं हो सकता।
4. धारा 9
के तहत किस प्रकार के अपराध शामिल हैं?
उत्तर:
इस धारा के अंतर्गत वे अपराध आते हैं जो:
- कई कार्यों से मिलकर बनते हैं,
जहां हर कार्य स्वयं एक अपराध होता है।
- विभिन्न कानूनी परिभाषाओं के
अंतर्गत आते हैं लेकिन किसी एकल घटना से संबंधित होते हैं।
5. क्या
धारा 9 के तहत एक ही अपराध के लिए बार-बार सजा दी जा सकती है?
उत्तर:
नहीं,
यदि कोई अपराध एक ही कृत्य की पुनरावृत्ति है, तो अपराधी को केवल एक बार सजा मिलेगी। लेकिन यदि एक ही घटना के दौरान
अलग-अलग अपराध किए गए हैं, तो अपराधी को हर अलग अपराध के लिए
सजा दी जा सकती है।
6. क्या
धारा 9 के तहत किसी अपराधी को अधिकतम दंड से अधिक सजा दी जा
सकती है?
उत्तर:
नहीं,
इस धारा के तहत अपराधी को उस अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा से
अधिक दंडित नहीं किया जा सकता, जिसे न्यायालय सबसे गंभीर
मानता है।
7. क्या
बीएनएस धारा 9 हर प्रकार के अपराधों पर लागू होती है?
उत्तर:
यह धारा उन मामलों में लागू होती है जहां एक ही अपराध कई भागों में विभाजित हो
सकता है। लेकिन यदि कोई अपराध अलग-अलग घटनाओं में किया गया हो,
तो यह धारा लागू नहीं होगी, और अपराधी को
प्रत्येक अपराध के लिए अलग-अलग सजा मिल सकती है।
8. क्या कोई
उदाहरण है जो धारा 9 को बेहतर ढंग से समझा सके?
उत्तर:
उदाहरण:
- यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य
व्यक्ति पर लगातार 50 वार करता है, तो उसे केवल पूरी घटना के लिए एक बार दंड मिलेगा, न कि प्रत्येक वार के लिए अलग-अलग।
- लेकिन यदि वही व्यक्ति उसी घटना
के दौरान किसी अन्य व्यक्ति पर भी हमला करता है,
तो वह दोनों व्यक्तियों के लिए अलग-अलग सजा का पात्र होगा।
9. धारा 9
का कानून में क्या महत्व है?
उत्तर:
यह धारा अपराधों को परिभाषित करने और सजा तय करने में न्यायिक प्रणाली की
पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करती है। यह अपराधियों को अनावश्यक रूप से
कठोर दंड से बचाने में मदद करती है और न्याय के सिद्धांत को बनाए रखती है।
10. क्या
बीएनएस धारा 9 के तहत सजा पूरी तरह से समाप्त हो सकती है?
उत्तर:
नहीं,
यह धारा सजा समाप्त करने के लिए नहीं है, बल्कि
यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सजा उचित और न्यायसंगत हो। यदि किसी अपराधी ने
अलग-अलग अपराध किए हैं, तो उसे हर अपराध के लिए दंडित किया
जाएगा, लेकिन कुल सजा तय सीमा से अधिक नहीं होगी।