भारतीय न्याय
संहिता, धारा 7 क्या है?
सजा (कारावास के
कुछ मामलों में) पूरी तरह या आंशिक रूप से कठोर या साधारण हो सकती है: प्रत्येक मामले में जिसमें कोई अपराधी किसी भी भांति के कारावास से
दण्डनीय है, ऐसे अपराधी को दण्डादेश देने वाला न्यायालय
दण्डादेश में यह निर्देश देने के लिए सक्षम होगा कि ऐसा कारावास पूर्णतः कठोर होगा,
या ऐसा कारावास पूर्णतः सादा होगा, या ऐसे
कारावास का कोई भाग कठोर होगा और शेष सादा होगा।
संक्षिप्त विवरण
बीएनएस (संभवतः एक
कानूनी संहिता या अधिनियम) की धारा 7 बताती है
कि कारावास को उसकी प्रकृति के आधार पर किस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है। यह
न्यायालय को यह निर्णय लेने की अनुमति देता है कि कारावास क्या होना चाहिए:
1.पूर्णतः
कठोर, 2.पूर्णतया: सरल या
1. आंशिक रूप से
कठोर 2. आंशिक रूप से सरल
न्यायालय को सजा
में कारावास के प्रकार को निर्दिष्ट करने का अधिकार है,
जिससे सजा सुनाने में लचीलापन आता है।
सारांश
भारतीय न्याय
संहिता,
2023 की धारा 7 न्यायालय को यह
अधिकार प्रदान करती है कि वह कारावास की प्रकृति को पूरी तरह या आंशिक रूप से
कठोर या साधारण घोषित कर सके। यह प्रावधान सजा निर्धारण में लचीलापन और
न्यायिक विवेकाधिकार को बनाए रखता है, जिससे अपराध की
गंभीरता और परिस्थितियों के आधार पर उचित दंड दिया जा सके।
इस धारा का
उद्देश्य सजा की प्रभावशीलता और न्यायसंगत क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है।
यह अपराध की प्रकृति, अपराधी की पृष्ठभूमि और
अन्य कानूनी कारकों को ध्यान में रखते हुए संतुलित और अनुपातिक दंड लागू
करने की अनुमति देता है।
कुल मिलाकर,
धारा 7 न्यायालय को कारावास की श्रेणी
निर्धारित करने का अधिकार देती है, जिससे दंड प्रणाली अधिक
लचीली, न्यायसंगत और प्रभावी बनती है।
उदाहरण
केस 1
: एक अपराधी को 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई
है। अदालत निर्देश देती है कि सजा को 2 साल के कठोर कारावास
और 3 साल के साधारण कारावास में विभाजित किया जाए।
केस 2
:
एक अपराधी को 3 साल की कैद की सजा सुनाई गई
है। अदालत ने फैसला किया है कि 3 साल की पूरी अवधि कठोर
कारावास होगी।
केस 3
:
एक अपराधी को 2 साल की कैद की सजा सुनाई जाती
है। अदालत तय करती है कि पूरी अवधि साधारण कारावास होगी।
FAQs: भारतीय
न्याय संहिता, 2023 - धारा 7
प्रश्न 1:
भारतीय न्याय संहिता की धारा 7 क्या है?
उत्तर:
धारा 7
न्यायालय को यह अधिकार देती है कि वह अपराधी को दी जाने वाली
कारावास की सजा को पूर्णतः कठोर, पूर्णतः साधारण
या आंशिक रूप से कठोर और आंशिक रूप से साधारण घोषित कर
सके।
प्रश्न 2:
कठोर और साधारण कारावास में क्या अंतर है?
उत्तर:
- कठोर कारावास:
इसमें अपराधी को कठिन परिश्रम करना पड़ता है, जैसे जेल में श्रम कार्य।
- साधारण कारावास:
इसमें अपराधी को बिना कठिन परिश्रम जेल में रखा जाता है।
प्रश्न 3:
न्यायालय कारावास की प्रकृति कैसे तय करता है?
उत्तर:
न्यायालय अपराध की गंभीरता, अपराधी के आचरण, अपराध की परिस्थितियों और अन्य कानूनी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह
निर्णय लेता है कि कारावास कठोर, साधारण या दोनों
का मिश्रण होगा।
प्रश्न 4:
क्या न्यायालय सजा का कुछ भाग कठोर और कुछ भाग साधारण घोषित कर सकता
है?
उत्तर:
हां,
धारा 7 के तहत न्यायालय को यह अधिकार है कि वह
सजा को आंशिक रूप से कठोर और आंशिक रूप से साधारण कर सकता है।
प्रश्न 5:
क्या सभी प्रकार की सजा में धारा 7 लागू होती
है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 7 केवल उन मामलों में लागू होती है
जहां अपराधी को कारावास की सजा सुनाई जाती है। अन्य दंडों, जैसे मृत्यु दंड या जुर्माने पर यह धारा लागू नहीं होती।
प्रश्न 6:
धारा 7 के तहत दिए गए कारावास के प्रकार का
उदाहरण क्या हो सकता है?
उत्तर:
- उदाहरण 1:
एक अपराधी को 5 साल की सजा दी गई,
जिसमें 2 साल कठोर और 3 साल साधारण कारावास होगा।
- उदाहरण 2:
एक अपराधी को 3 साल की सजा दी गई और
न्यायालय ने उसे पूरी तरह कठोर कारावास घोषित किया।
- उदाहरण 3:
एक अपराधी को 2 साल की सजा दी गई और उसे पूरी
तरह साधारण कारावास दिया गया।
प्रश्न 7:
धारा 7 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
धारा 7
का मुख्य उद्देश्य सजा प्रणाली को अधिक लचीला और न्यायसंगत बनाना
है, ताकि अपराध की गंभीरता और परिस्थितियों के आधार पर उचित
दंड दिया जा सके।
प्रश्न 8:
क्या धारा 7 सजा की अवधि को प्रभावित करती है?
उत्तर:
नहीं,
धारा 7 सिर्फ कारावास की प्रकृति (कठोर या
साधारण) को निर्धारित करती है, सजा की अवधि को प्रभावित
नहीं करती।
“भारतीय न्याय संहिता, 2023 की
धारा 7 न्यायालय को यह शक्ति देती है कि वह कारावास को
कठोर, साधारण या दोनों का मिश्रण बना सके। यह न्यायालय को सजा में लचीलापन प्रदान करता है, जिससे
न्यायपालिका अपराध की गंभीरता के आधार पर अधिक न्यायसंगत निर्णय ले सकती है।“