भारतीय न्याय संहिता, की धारा 5 क्या है?
“भारतीय न्याय संहिता, 2023 का अध्याय 2 दंडों के विषय में (Of Punishments) : धारा 5, दंडादेश का लघुकरण (Commutation of Sentence)
"इस धारा में सजा का
लघुकरण आता है तथा इस धारा के अंतर्गत सजा
को कम या परिवर्तित किया जा सकता है।"
प्रत्येक मामले में
जिसमें,
(क) मृत्युदंड
दे दिया गया है, तो समुचित सरकार अपराधी की सहमति के
बिना, दंड को इस संहिता द्वारा उपबंधित किसी अन्य दंड में
परिवर्तित कर सकती है;
(ख) आजीवन
कारावास की सजा दी गई है, तो समुचित सरकार अपराधी
की सहमति के बिना, दण्ड को चौदह वर्ष से अनधिक अवधि
के लिए कारावास में परिवर्तित कर सकती है।
स्पष्टीकरण।
इस धारा के
प्रयोजनों के लिए अभिव्यक्ति “समुचित सरकार” का अर्थ है,––
(क)
ऐसे मामलों में जहां दंडादेश मृत्यु दंडादेश है या किसी ऐसे विषय से
संबंधित किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए है जिस पर संघ की कार्यपालिका शक्ति
लागू होती है, केंद्रीय सरकार; और
(ख)
उन मामलों में जहां दंडादेश (चाहे मृत्यु का हो या न हो) किसी ऐसे विषय से संबंधित
किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए है जिस तक राज्य की कार्यपालिका शक्ति लागू
होती है,
उस राज्य की सरकार जिसके अंतर्गत अपराधी को दंडादेश दिया गया है।
सारांश
भारतीय न्याय
संहिता,
2023 की धारा 5 सजा के लघुकरण
(कम करने या बदलने) से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह सरकार को यह अधिकार
देता है कि वह मृत्युदंड को किसी अन्य सज़ा में परिवर्तित कर सकती है और आजीवन
कारावास को अधिकतम 14 वर्ष की सज़ा में बदल सकती है,
वह भी अपराधी की सहमति के बिना। इस धारा का मुख्य उद्देश्य न्याय
प्रणाली में लचीलापन बनाए रखना और न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए
उपयुक्त दंड सुनिश्चित करना है।
यह प्रावधान यह भी
स्पष्ट करता है कि किस प्रकार के मामलों में राज्य सरकार या केंद्र सरकार को
दंडादेश बदलने का अधिकार प्राप्त है। यह न्यायिक प्रक्रिया को अधिक मानवीय बनाता
है और विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपराधियों को सजा देने में
न्यायसंगत दृष्टिकोण अपनाने की अनुमति देता है।
कुल मिलाकर,
धारा 5 न्यायिक प्रणाली में संतुलन बनाए रखने,
कठोर सजा के मामलों में पुनर्विचार की गुंजाइश रखने और अपराध के
स्वरूप के आधार पर दंड को उचित रूप से संशोधित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कानूनी
प्रावधान है।
भारतीय न्याय
संहिता, 2023 - धारा 5 से
संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय
न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 5 क्या
है?
धारा 5
सजा के लघुकरण (कम करने या बदलने) से संबंधित प्रावधानों को
निर्धारित करती है। इसके तहत, उपयुक्त सरकार को यह अधिकार
दिया गया है कि वह अपराधी की सहमति के बिना सजा को कम या परिवर्तित कर सकती है।
2. धारा 5
के अंतर्गत किन सज़ाओं को बदला या कम किया जा सकता है?
इस धारा के तहत दो
प्रमुख सज़ाओं को कम या बदला जा सकता है:
- मृत्युदंड:
सरकार इसे किसी अन्य उपयुक्त सज़ा में बदल सकती है।
- आजीवन कारावास:
इसे अधिकतम 14 वर्ष तक के कारावास में बदला जा सकता है।
3. क्या
अपराधी की सहमति के बिना सज़ा बदली जा सकती है?
हाँ,
धारा 5 के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह
अपराधी की सहमति के बिना भी सज़ा को कम या परिवर्तित कर सकती है।
4. "समुचित
सरकार" (Appropriate Government) का क्या अर्थ है?
- केंद्रीय सरकार:
यदि मामला ऐसा है जिसमें दंडादेश (सजा) मृत्युदंड है, या अपराध किसी ऐसे कानून का उल्लंघन करता है, जिस
पर केंद्र सरकार की कार्यपालिका शक्ति लागू होती है।
- राज्य सरकार:
यदि मामला किसी ऐसे कानून का उल्लंघन करता है, जिस पर राज्य सरकार की कार्यपालिका शक्ति लागू होती है।
5. क्या
धारा 5 के तहत सभी प्रकार की सजाओं को बदला जा सकता है?
नहीं,
यह प्रावधान केवल मृत्युदंड और आजीवन कारावास को परिवर्तित
करने से संबंधित है। अन्य प्रकार की सजाओं पर यह धारा लागू नहीं होती।
6. धारा 5
का उद्देश्य क्या है?
इस धारा का मुख्य
उद्देश्य न्याय प्रणाली में लचीलापन बनाए रखना है, ताकि
गंभीर अपराधों में भी मानवीय और कानूनी पक्षों को ध्यान में रखते हुए सजा में
बदलाव किया जा सके।
7. क्या
सरकार किसी भी मामले में सजा को बदल सकती है?
नहीं,
सरकार केवल उन्हीं मामलों में सज़ा को बदल सकती है जहाँ यह संहिता
इसकी अनुमति देती है और जहाँ समुचित न्यायिक प्रक्रिया अपनाई जाती है।
8. धारा 5
और दया याचिका (Mercy Petition) में क्या अंतर
है?
- धारा 5
सरकार को स्वतः (बिना याचिका के) सजा बदलने का अधिकार देती है।
- दया याचिका
में अपराधी स्वयं राष्ट्रपति या राज्यपाल के समक्ष अपनी सजा माफ करने के लिए
अपील करता है।
9. क्या
मृत्युदंड को पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है?
हाँ,
यदि सरकार चाहे, तो मृत्युदंड को किसी अन्य
सज़ा (जैसे आजीवन कारावास) में बदल सकती है।
10. यदि
किसी राज्य सरकार ने सज़ा बदली है, तो क्या केंद्र सरकार
इसमें हस्तक्षेप कर सकती है?
नहीं,
यदि अपराध राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, तो केवल वही सरकार सज़ा कम या परिवर्तित कर सकती है।
अगर आपको धारा 5
से संबंधित कोई और जानकारी चाहिए तो आप पूछ सकते हैं!