भारतीय नागरिक
सुरक्षा संहिता, 2023 का अध्याय-1 प्रारम्भिक (Preliminary): धारा 5-व्यावृत्ति (बचत) Saving
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023- धारा 5: व्यावृत्ति (बचत) Saving
इस संहिता में निहित
कोई भी बात, इसके विपरीत किसी विशिष्ट प्रावधान के अभाव में, तत्समय
प्रवृत्त किसी विशेष या स्थानीय
कानून पर, या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य कानून द्वारा
प्रदत्त किसी विशेष अधिकारिता या शक्ति पर, या
विहित किसी विशेष प्रक्रिया पर प्रभाव नहीं डालेगी।
संक्षिप्त विवरण
धारा 5 यह स्थापित करती है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023
के प्रावधान वर्तमान में प्रभावी किसी भी विशेष या स्थानीय कानून को रद्द नहीं
करते हैं, जब तक कि स्पष्ट रूप से अन्यथा न कहा गया हो। यह
सुनिश्चित करता है कि मौजूदा कानूनों, अधिकार
क्षेत्रों और प्रक्रियाओं का सम्मान किया जाता है और उन्हें बनाए रखा जाता है।
उदाहरण
उदाहरण के लिए, यदि किसी स्थानीय कानून में किसी विशेष मामले से निपटने
के लिए कोई विशिष्ट प्रक्रिया निर्धारित की गई है, तो
वह प्रक्रिया वैध रहती है और उसका पालन किया जाना चाहिए, भले
ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में समान मामलों के संबंध में अलग प्रावधान हों।
सारांश
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 5 इस
बात पर जोर देती है कि अधिनियम किसी भी मौजूदा विशेष या स्थानीय कानून, अधिकार
क्षेत्र या प्रक्रिया में तब तक बदलाव नहीं करता जब तक कि स्पष्ट रूप से न कहा
जाए। यह प्रावधान मौजूदा कानूनी परिदृश्य की अखंडता की रक्षा करता है।
धारा 5 से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,
2023 की धारा 5
क्या कहती है?
उत्तर: धारा 5 यह
सुनिश्चित करती है कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के प्रावधान मौजूदा विशेष या स्थानीय कानूनों,
विशिष्ट अधिकारिता
या प्रक्रियाओं को प्रभावित नहीं करेंगे, जब तक कि संहिता में इसके विपरीत कोई स्पष्ट प्रावधान न
दिया गया हो।
2. धारा 5 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इस धारा का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी विशेष या
स्थानीय कानून, जो
वर्तमान में प्रभावी है, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के लागू होने के बावजूद वैध और प्रभावी बना रहे।
3. धारा 5 के तहत मौजूदा कानूनी प्रक्रियाओं की सुरक्षा कैसे होती
है?
उत्तर: धारा 5 यह
स्पष्ट करती है कि किसी विशेष कानून में दिए गए प्रावधान स्वत: निरस्त नहीं होंगे,
जब तक कि संहिता में विशेष रूप से इसका उल्लेख न किया
गया हो। इससे मौजूदा कानूनी प्रक्रियाओं की निरंतरता बनी रहती है।
4. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,
2023 और किसी विशेष
कानून के बीच टकराव की स्थिति में क्या होगा?
उत्तर: यदि संहिता और किसी विशेष कानून के बीच टकराव होता है,
तो विशेष कानून प्रभावी रहेगा,
जब तक कि संहिता में स्पष्ट रूप से उस विशेष कानून को
अधिनियम से बाहर करने का प्रावधान न हो।
5. क्या धारा 5 विशेष रूप से किसी प्रकार के कानूनों पर लागू होती है?
उत्तर: हां, यह
धारा विशेष
या स्थानीय कानूनों, विशिष्ट अधिकारिता और प्रक्रियाओं
पर लागू होती है, ताकि उनके अस्तित्व और प्रभाव को सुरक्षित रखा जा सके।
6. क्या धारा 5 का प्रभाव राष्ट्रीय स्तर पर लागू होने वाले सभी कानूनों
पर पड़ता है?
उत्तर: नहीं, यह
केवल विशेष
या स्थानीय कानूनों पर लागू होती है, न कि संपूर्ण राष्ट्रीय कानूनी प्रणाली पर। यह केवल यह
सुनिश्चित करती है कि मौजूदा विशेष कानून तब तक प्रभावी रहें जब तक कि उन्हें
विशेष रूप से प्रतिस्थापित नहीं किया जाता।
7. धारा 5 के महत्व को उदाहरण के माध्यम से कैसे समझा जा सकता है?
उत्तर: उदाहरण के लिए, यदि किसी राज्य में एक विशेष आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम
लागू है, जो भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता से अलग है,
तो वह अधिनियम प्रभावी बना रहेगा,
जब तक कि संहिता में इसे स्पष्ट रूप से प्रतिस्थापित
करने का उल्लेख न किया जाए।
8. धारा 5 का अनुपालन किस प्रकार सुनिश्चित किया जाता है?
उत्तर: न्यायालय और विधायी संस्थाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि यदि कोई विशेष कानून
इस संहिता के प्रावधानों से अलग होता है, तो संहिता के तहत केवल उन्हीं प्रावधानों को लागू किया जाए
जो विशेष रूप से अन्य कानूनों को निरस्त करने के लिए निर्दिष्ट किए गए हों।
9. धारा 5 अन्य कानूनी संहिताओं की तुलना में क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: यह प्रावधान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि नया
कानून लागू होने के बावजूद, पहले से मौजूद कानूनी ढांचा प्रभावित न हो,
जिससे कानूनी स्थिरता और न्यायिक प्रक्रिया की निरंतरता
बनी रहती है।
10. क्या धारा 5 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,
2023 के अन्य प्रावधानों
को सीमित करती है?
उत्तर: नहीं, यह
धारा संहिता के अन्य प्रावधानों को सीमित नहीं करती, बल्कि यह केवल यह स्पष्ट करती है कि यदि कोई
विशेष या स्थानीय कानून पहले से
मौजूद है, तो उसे तब तक मान्यता दी जाएगी जब तक कि इसे
प्रतिस्थापित करने का स्पष्ट निर्देश न दिया जाए।