भारतीय न्याय
संहिता की धारा 12 क्या है?
“भारतीय न्याय संहिता, 2023 का अध्याय 2 दंडों के विषय में (Of Punishments) :धारा 12: एकान्त कारावास की सीमा(Limit of Solitary Confinement)
एकान्त कारावास की
सजा के निष्पादन में, ऐसा कारावास किसी भी मामले
में एक बार में चौदह दिन से अधिक नहीं होगा, तथा एकान्त
कारावास की अवधि के बीच अंतराल ऐसी अवधि से कम अवधि का नहीं होगा; और जब अधिनिर्णीत कारावास तीन मास से अधिक होगा, तो
एकान्त कारावास अधिनिर्णीत सम्पूर्ण कारावास के किसी एक मास में सात दिन से अधिक
नहीं होगा, तथा एकान्त कारावास की अवधि के बीच अंतराल ऐसी
अवधि से कम अवधि का नहीं होगा।
संक्षिप्त विवरण
भारतीय न्याय
संहिता, 2023 की धारा 12 कारावास के दौरान एकांत
कारावास की सीमाओं को रेखांकित करती है। एक बार में कारावास चौदह दिनों से अधिक
नहीं चल सकता है, और कारावास के बीच का अंतराल कारावास अवधि
के बराबर या उससे अधिक होना चाहिए। यदि कारावास तीन महीने से अधिक है, तो एकांत कारावास प्रति माह सात दिनों तक सीमित है, फिर
से कारावास के बीच समान या अधिक अंतराल के साथ।
उदाहरण
1. यदि किसी
व्यक्ति को एकांत कारावास की सजा सुनाई जाती है, तो उसे चौदह
दिनों तक कैद में रखा जा सकता है। इस अवधि के बाद, कम से कम
चौदह दिनों का अंतराल होना चाहिए, उसके बाद ही उसे फिर से
एकांत कारावास में रखा जा सकता है।
2. अगर किसी
कैदी को छह महीने की कैद की सजा सुनाई जाती है, तो अधिकारी
उसे हर महीने सात दिनों से ज़्यादा एकांत कारावास में नहीं रख सकते। हर कारावास
अवधि के बाद कम से कम सात दिनों का अंतराल होना चाहिए।
सारांश
भारतीय न्याय
संहिता, 2023 की धारा 12 एकांत
कारावास की अवधि और आवृत्ति पर सख्त सीमाएँ लगाती है। यह सुनिश्चित करता है कि एक
बार में कारावास की अवधि चौदह दिनों से अधिक न हो, और
कारावास के बीच का अंतराल बराबर या उससे अधिक होना चाहिए। ऐसे मामलों में जहाँ
कारावास तीन महीने से अधिक है, एकांत कारावास को प्रति माह
अधिकतम सात दिनों तक सीमित किया जाता है, जिसमें कारावास
अवधि के बीच अनिवार्य अंतराल होता है।
अक्सर पूछे जाने
वाले प्रश्न (FAQs)
उत्तर:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 12 एकांत कारावास (Solitary Confinement) की अधिकतम
सीमा और इसके क्रियान्वयन के नियमों को निर्धारित करती है। यह प्रावधान कैदियों के
अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लागू किया गया है।
प्रश्न 2:
बीएनएस धारा 12 के तहत एक बार में अधिकतम
कितने दिनों तक एकांत कारावास दिया जा सकता है?
उत्तर:
एक समय में अधिकतम 14 दिनों तक एकांत कारावास
दिया जा सकता है। इससे अधिक अवधि के लिए लगातार एकांत कारावास की अनुमति नहीं है।
प्रश्न 3:
क्या एकांत कारावास की अवधि के बीच कोई अनिवार्य अंतराल होता है?
उत्तर:
हां,
एकांत कारावास की प्रत्येक अवधि के बाद कम से कम उतने ही दिनों का
अंतराल होना चाहिए जितने दिन का एकांत कारावास दिया गया था।
प्रश्न 4:
जब कारावास की सजा तीन महीने से अधिक हो, तो
एकांत कारावास की क्या सीमा है?
उत्तर:
यदि किसी व्यक्ति को तीन महीने से अधिक की सजा मिली है,
तो उसे किसी भी एक महीने में अधिकतम 7 दिनों
तक ही एकांत कारावास दिया जा सकता है, और प्रत्येक अवधि के
बाद अनिवार्य रूप से समान या अधिक अंतराल होना चाहिए।
प्रश्न 5:
क्या कोई कैदी लगातार 14 दिनों से अधिक एकांत
कारावास में रह सकता है?
उत्तर:
नहीं,
कोई भी कैदी लगातार 14 दिनों से अधिक एकांत
कारावास में नहीं रह सकता। उसे 14 दिनों के बाद उतने ही
दिनों का अनिवार्य अंतराल दिया जाएगा।
प्रश्न 6:
यदि कारावास की सजा तीन महीने से कम हो, तो
क्या एकांत कारावास पर कोई अतिरिक्त प्रतिबंध लागू होता है?
उत्तर:
धारा 12
के अनुसार, यदि कारावास की सजा तीन महीने से
कम है, तो एकांत कारावास पर कोई अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं है,
लेकिन इसे एक बार में अधिकतम 14 दिनों तक ही
दिया जा सकता है।
प्रश्न 7:
बीएनएस धारा 12 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस प्रावधान का उद्देश्य कैदियों के मानवाधिकारों की रक्षा करना है,
ताकि एकांत कारावास का दुरुपयोग न हो और यह अमानवीय न बने। यह कैदी
के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान
है।
प्रश्न 8:
क्या यह प्रावधान अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है?
उत्तर:
हां,
यह प्रावधान अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों के अनुरूप बनाया गया
है, ताकि एकांत कारावास को अत्यधिक कठोर न बनाया जाए और
कैदियों के अधिकारों की सुरक्षा की जा सके।
प्रश्न 9:
यदि किसी कैदी को छह महीने की सजा मिली है, तो
उसे कितने दिनों तक एकांत कारावास में रखा जा सकता है?
उत्तर:
छह महीने की सजा होने पर, प्रति माह अधिकतम 7 दिनों तक ही एकांत कारावास दिया जा सकता है। हर एकांत कारावास की अवधि के
बाद कम से कम उतने ही दिनों का अंतराल होना अनिवार्य है।
प्रश्न 10:
यदि कोई व्यक्ति धारा 12 के नियमों का उल्लंघन
करता है तो क्या कोई कानूनी उपचार उपलब्ध है?
उत्तर:
हां,
यदि धारा 12 के नियमों का उल्लंघन किया जाता
है, तो संबंधित व्यक्ति न्यायालय में अपील कर सकता है और
कैदी के अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक उपचार (जैसे रिट याचिका) भी दायर कर
सकता है।
"भारतीय न्याय
संहिता, 2023 की धारा 12
कैदियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो
एकांत कारावास की अवधि और अंतराल को नियंत्रित करता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित
करता है कि कोई भी व्यक्ति अत्यधिक कठोर या अमानवीय परिस्थितियों में न रखा जाए और
न्यायसंगत तरीके से कारावास की सजा दी जाए।"