भारतीय न्याय
संहिता, धारा 10 क्या है?
“भारतीय न्याय संहिता, 2023 का अध्याय 2 दंडों के विषय में (Of Punishments) :धारा 10- कई
अपराधों में से किसी एक के लिए दोषी व्यक्ति को दण्ड, जिसमें
निर्णय यह बताता है कि वह अपराध संदिग्ध है।
ऐसे सभी मामलों में
जिनमें निर्णय दिया जाता है कि कोई व्यक्ति निर्णय में निर्दिष्ट कई अपराधों में
से किसी एक का दोषी है, किन्तु यह संदेह है कि वह
इनमें से किस अपराध का दोषी है,
यदि सभी के लिए
समान दण्ड का प्रावधान नहीं है तो अपराधी को उस अपराध के लिए दण्डित किया जाएगा
जिसके लिए सबसे कम दण्ड का प्रावधान है।
संक्षिप्त विवरण
बीएनएस धारा 10 में सजा सुनाने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है, जब निर्णय में यह निर्धारित किया जाता है कि कोई व्यक्ति कई निर्दिष्ट
अपराधों में से किसी एक का दोषी है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है
कि वे किस विशिष्ट अपराध के लिए दोषी हैं। ऐसे मामलों में, अपराधी
को सबसे कम दंड वाले अपराध के लिए सजा मिलेगी, बशर्ते कि सभी
अपराधों के लिए एक जैसी सजा न हो।
उदाहरण
यदि किसी निर्णय
में किसी व्यक्ति को चोरी, हमला और बर्बरता का दोषी
पाया जाता है, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं किया जाता है कि वह
किस अपराध का दोषी है, और इन अपराधों के लिए सजा क्रमशः 3
वर्ष, 2 वर्ष और 1 वर्ष
है, तो अपराधी को 1 वर्ष की सजा मिलेगी,
क्योंकि यह निर्दिष्ट अपराधों में सबसे कम सजा है।
भारतीय न्याय
संहिता (BNS) धारा 10 से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. बीएनएस
धारा 10 क्या है?
उत्तर:
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 10 उन मामलों को संबोधित करती है जहां किसी व्यक्ति को कई संभावित अपराधों
में से किसी एक के लिए दोषी ठहराया जाता है, लेकिन यह स्पष्ट
नहीं होता कि वह किस विशिष्ट अपराध का दोषी है। इस स्थिति में, यदि सभी अपराधों के लिए समान दंड निर्धारित नहीं है, तो अपराधी को उस अपराध के लिए दंडित किया जाएगा जिसके लिए सबसे कम दंड का
प्रावधान है।
2. बीएनएस
धारा 10 का उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
इस धारा का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित
करना है। जब किसी अपराधी पर कई अपराधों का संदेह हो, लेकिन
यह स्पष्ट न हो कि वह किस अपराध के लिए दोषी है, तो उसे सबसे
कम सजा वाले अपराध के अनुसार दंडित किया जाएगा। यह कानून के सिद्धांत "संदेह
का लाभ" (Benefit of Doubt) को लागू करने में मदद करता
है।
3. बीएनएस
धारा 10 के तहत सजा कैसे निर्धारित की जाती है?
उत्तर:
यदि किसी व्यक्ति को निर्णय में निर्दिष्ट कई अपराधों में से किसी
एक का दोषी पाया जाता है, लेकिन यह सुनिश्चित नहीं होता कि
वह किस अपराध का दोषी है, तो:
- यदि सभी अपराधों के लिए समान सजा
का प्रावधान है, तो अपराधी को उसी के
अनुसार दंडित किया जाएगा।
- यदि अपराधों की सजा अलग-अलग है,
तो अपराधी को सबसे कम सजा वाले अपराध के अनुसार दंडित किया
जाएगा।
4. यदि सभी
अपराधों की सजा समान हो तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि सभी संभावित अपराधों के लिए समान सजा का प्रावधान है, तो अपराधी को उस सजा के अनुसार दंडित किया जाएगा, मानो
वह अपराध सिद्ध हो गया हो।
5. क्या
बीएनएस धारा 10 निर्दोष व्यक्तियों को बचाने में मदद करती है?
उत्तर:
हाँ, यह धारा सुनिश्चित करती है कि किसी
व्यक्ति को संदेह के आधार पर अधिकतम सजा न मिले। यदि यह स्पष्ट नहीं है कि वह किस
अपराध के लिए दोषी है, तो उसे कम से कम सजा दी जाएगी,
जिससे कठोर दंड से बचाव होता है।
6. क्या
बीएनएस धारा 10 का दुरुपयोग हो सकता है?
उत्तर:
संभावित रूप से, यदि न्यायालय किसी अपराधी के
अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने में असमर्थ होता है, तो
अपराधी को न्यूनतम सजा मिलने की संभावना होती है। हालाँकि, यह
प्रावधान न्यायिक प्रक्रिया में निष्पक्षता बनाए रखने और निर्दोष व्यक्तियों को
अनुचित दंड से बचाने के लिए बनाया गया है।
7. क्या कोई
उदाहरण है जो बीएनएस धारा 10 को स्पष्ट करता है?
उत्तर:
उदाहरण:
मान लीजिए कि किसी व्यक्ति पर तीन अपराधों – चोरी (3 वर्ष की सजा), हमला (2 वर्ष की
सजा), और बर्बरता (1 वर्ष की सजा) – का
संदेह है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसने इनमें से कौन सा अपराध किया है।
- ऐसे में,
चूंकि बर्बरता के लिए सबसे कम सजा (1 वर्ष)
निर्धारित है, इसलिए अपराधी को 1 वर्ष
की ही सजा दी जाएगी।
8. बीएनएस
धारा 10 किस तरह से कानूनी प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है?
उत्तर:
यह धारा न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने
में मदद करती है। यह सुनिश्चित करती है कि किसी व्यक्ति को केवल संदेह के आधार पर
कठोर दंड न दिया जाए।
9. क्या यह
धारा सभी अपराधों पर लागू होती है?
उत्तर:
नहीं, यह धारा केवल उन मामलों पर लागू होती है
जहां किसी व्यक्ति को कई संभावित अपराधों में से किसी एक का दोषी पाया जाता है,
लेकिन यह स्पष्ट नहीं होता कि उसने कौन सा अपराध किया है।
10. यदि
अपराधी को संदेह के आधार पर सबसे कम सजा मिलती है, तो क्या
वह पूरी तरह बच सकता है?
उत्तर:
नहीं, यह धारा अपराधी को पूरी तरह सजा से नहीं
बचाती, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि संदेह की स्थिति में
उसे सबसे कम सजा दी जाए, जब तक कि सभी संभावित अपराधों के
लिए समान दंड न हो।
“भारतीय न्याय संहिता की धारा 10 कानूनी
प्रक्रिया में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह अपराधी को
संदेह का लाभ प्रदान करती है और न्यायपालिका को अधिकतम सजा देने में सतर्क रहने के
लिए बाध्य करती है। इस धारा का उद्देश्य किसी निर्दोष व्यक्ति को अनुचित दंड से
बचाना और न्यायिक प्रक्रियाओं में संतुलन बनाए रखना है।“