संघ और उसका राज्यक्षेत्र (Union and Its Territory) – भारतीय संविधान की धारा 1 से 4 का विस्तृत विश्लेषण।

 

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संघ और उसका राज्यक्षेत्र (Union and Its Territory) – भारतीय संविधान की धारा 1 से 4 का विस्तृत विश्लेषण। 

 

परिचय

"भारत के संविधान के भाग 1 के अंतर्गत अनुच्छेद 1 से 4 तक में संघ एवं इसके क्षेत्रों की चर्चा की गई है। आइए हम इसे विस्तार से समझे।"

भारत एक "राज्यों का संघ"("Union of States") है, जहाँ संविधान का अनुच्छेद 1 से 4 देश के संघ और उसके राज्यक्षेत्र को परिभाषित करता है। भारत केवल राज्यों का एक समूह नहीं है, बल्कि यह एक अखंड राष्ट्र है, जहाँ केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 1 में स्पष्ट रूप से भारत के क्षेत्रीय ढाँचे और उसकी सीमाओं को परिभाषित किया गया है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में भारत को "राज्यों का संघ" (Union of States) कहा गया है, न कि "संघीय राज्य" (Federation of States)। यह शब्दावली संविधान निर्माताओं द्वारा जानबूझकर चुनी गई थी ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि भारत की संघीय व्यवस्था केंद्र के अधिकार में रहती है और यह अमेरिकी संघीय प्रणाली से भिन्न है, जहाँ राज्य संप्रभुता रखते हैं।


     

    🔹 संविधान सभा की बहसों में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि "भारत राज्यों का एक संघ होगा, क्योंकि यह राज्यों की सहमति से नहीं बना है, बल्कि यह संविधान द्वारा निर्मित है।"

     

    📌 महत्वपूर्ण तथ्य:

    भारत एक अखंड राष्ट्र है, जहाँ राज्यों को संविधान द्वारा निर्मित इकाइयाँ माना गया है।
    राज्यों के पास अलग से संप्रभुता नहीं है और वे संविधान द्वारा केंद्र के अधीन कार्य करते हैं।
    केंद्र सरकार को संसद के माध्यम से राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने का अधिकार प्राप्त है (अनुच्छेद 3)

     

    "संघ" और "संघीय राज्य" के बीच अंतर

     🔹 संघ (Union) का तात्पर्य एक अखंड भारत से है, जिसमें राज्यों को संविधान के तहत अधिकार दिए गए हैं, लेकिन उनकी संप्रभुता सीमित है।

    🔹 संघीय राज्य (Federation) में प्रत्येक राज्य स्वतंत्र होता है और उसे संविधान में संप्रभुता प्राप्त होती है, जैसा कि अमेरिका में होता है।

    📌 संविधान सभा की बहसों में डॉ. अंबेडकर ने स्पष्ट किया:
    "संघीय ढाँचा अमेरिका की तरह नहीं होगा, जहाँ राज्य संविधान से स्वतंत्र होते हैं। भारत में राज्य अलग से संप्रभु नहीं होंगे, बल्कि वे संविधान के अधीन कार्य करेंगे।"

     

    📌 महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:

    🔹 State of West Bengal v. Union of India (1963): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान ने भारत को एक "संघ" बनाया है, जहाँ केंद्र सरकार को राज्यों पर अधिक नियंत्रण दिया गया है।

     

     

    अनुच्छेद 1: भारत और उसके क्षेत्र की परिभाषा

    अनुच्छेद 1(1): "भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा।"
    अनुच्छेद 1(2): "भारत का राज्यक्षेत्र राज्यों, संघ शासित प्रदेशों और ऐसे अन्य क्षेत्रों से मिलकर बनेगा, जिन्हें भारत सरकार अधिग्रहित कर सकती है।"

     

    📌 महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:


    🔹
    Berubari Union Case (1960): सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारत एक संघीय राष्ट्र है, लेकिन इसकी अखंडता सर्वोच्च है। यदि किसी क्षेत्र को किसी अन्य देश को सौंपना हो, तो इसके लिए संविधान में संशोधन करना अनिवार्य होगा।

     

    अनुच्छेद 2: नए राज्यों का प्रवेश और स्थापना
     

    अनुच्छेद 2 संसद को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी विदेशी क्षेत्र को भारत में शामिल कर सकता है और उसे एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर सकता है।

     

    📌 उदाहरण:


    🔹 1975 में सिक्किम को भारत में शामिल किया गया और इसे 36वाँ संशोधन (36th Amendment) अधिनियम, 1975 के तहत भारतीय संघ का पूर्ण राज्य बनाया गया।

     

    📌 महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:


    🔹
    In Re: Berubari Union (1960): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी विदेशी क्षेत्र को भारत में मिलाने के लिए संसद को विशेष कानून बनाना होगा।

     

    अनुच्छेद 3: राज्यों का पुनर्गठन और सीमाओं में परिवर्तन

     

    अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति देता है कि वह राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है, नए राज्यों का निर्माण कर सकती है या मौजूदा राज्यों को विभाजित कर सकती है।

    📌 संविधान का सातवाँ संशोधन (1956) और राज्य पुनर्गठन अधिनियम (States Reorganization Act, 1956) इसी अनुच्छेद के तहत लागू किया गया था, जिसमें भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया।

     

    📌 महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:


    🔹 Babulal Parate v. State of Bombay (1960): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य पुनर्गठन संसद की विधायी शक्ति के अंतर्गत आता है और इसे राज्य विधानसभाओं की सहमति की आवश्यकता नहीं होती।

     

    📌 उदाहरण:

    🔹 2000 में झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ।
    🔹 2014 में तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाया गया।

     

    अनुच्छेद 4: संसद की शक्तियाँ और विशेष प्रावधान
     

    अनुच्छेद 4 यह स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून संविधान में संशोधन नहीं माने जाएंगे।

     

    📌 महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:

    🔹 State of West Bengal v. Union of India (1963): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान ने केंद्र सरकार को राज्यों के पुनर्गठन और सीमाओं में परिवर्तन की शक्ति प्रदान की है।

     

    भारत की संघीय संरचना और राज्यों की स्थिति

     

    भारत का संघीय ढाँचा अमेरिकी संविधान से भिन्न है, क्योंकि यहाँ केंद्र सरकार को अधिक शक्तियाँ दी गई हैं
    संविधान में "संघीय" (Federal) शब्द का उल्लेख नहीं है, लेकिन यह एकात्मक और संघीय तत्वों का संयोजन है।
    राज्यों की स्वतंत्रता सीमित है और वे संविधान द्वारा निर्मित हैं।

     

    📌 महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:

    🔹 Kesavananda Bharati v. State of Kerala (1973): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संघीय ढाँचा भारतीय संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) का हिस्सा है और इसे बदला नहीं जा सकता।

    🔹 Prem Nath Kaul v. State of Jammu & Kashmir (1959): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत केंद्र सरकार को राज्यों की सीमाओं में बदलाव करने का अधिकार प्राप्त है।

     

     "संघ और उसका राज्यक्षेत्र" की संवैधानिक महत्ता

     

    भारत का संविधान अनुच्छेद 1 से 4 के माध्यम से यह सुनिश्चित करता है कि भारत एक "राज्यों का संघ" है, न कि एक पारंपरिक संघीय ढाँचा, जहाँ राज्य स्वतंत्र संप्रभु इकाइयाँ होती हैं। भारतीय संविधान राज्यों को स्वतंत्र अस्तित्व नहीं देता, बल्कि उन्हें केंद्र के अधीन रखता है। संविधान निर्माताओं ने यह स्पष्ट किया कि भारत की अखंडता सर्वोपरि है और राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने का अंतिम अधिकार संसद के पास है।

     

    भारतीय संघीयता: केंद्र और राज्यों के बीच संतुलन

    संविधान का अनुच्छेद 1: भारत को "राज्यों का संघ" घोषित करता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि राज्यों का अस्तित्व संविधान पर निर्भर है।
    संविधान का अनुच्छेद 2: केंद्र सरकार को नए राज्यों को भारत में शामिल करने का अधिकार देता है।
    संविधान का अनुच्छेद 3: संसद को राज्यों की सीमाएँ बदलने, नए राज्य बनाने और राज्यों का विलय करने की शक्ति देता है।
    संविधान का अनुच्छेद 4: यह स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून संविधान संशोधन नहीं माने जाएँगे और इन्हें संसद साधारण कानून द्वारा पारित कर सकती है।

     

    📌 संविधान विशेषज्ञ एम. लक्ष्मीकांत ("भारत की राज्यव्यवस्था") के अनुसार –


    👉 "संविधान ने भारत को एकात्मकता और संघीयता का मिश्रण बनाया है। यहाँ संघीय ढाँचा मौजूद है, लेकिन केंद्र सरकार को राज्यों पर अधिक नियंत्रण दिया गया है।"

     

    📌 संविधान सभा में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने स्पष्ट किया –

    "भारत राज्यों का संघ होगा, लेकिन यह राज्यों की सहमति से नहीं बना है, बल्कि यह संविधान द्वारा निर्मित है।"

     

    न्यायपालिका का दृष्टिकोण और महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय

    📌 🔹 State of West Bengal v. Union of India (1963)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत को एक "संघ" बनाया गया है, जहाँ केंद्र सरकार को राज्यों पर अधिक नियंत्रण दिया गया है। राज्यों को संप्रभुता प्राप्त नहीं है।

    📌 🔹 Kesavananda Bharati v. State of Kerala (1973)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संघीय ढाँचा भारतीय संविधान की "मूल संरचना" (Basic Structure) का हिस्सा है और इसे बदला नहीं जा सकता।

    📌 🔹 In Re: Berubari Union Case (1960)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी विदेशी क्षेत्र को भारत में मिलाने के लिए संविधान संशोधन करना आवश्यक होगा।

    📌 🔹 Babulal Parate v. State of Bombay (1960)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने का अधिकार संसद के पास है और इसके लिए राज्य विधानसभाओं की सहमति आवश्यक नहीं है।

     

    ऐतिहासिक घटनाएँ: भारत के क्षेत्रीय विस्तार और परिवर्तन

     

    1947: भारत की स्वतंत्रता के बाद, सरदार पटेल के प्रयासों से 565 रियासतों का एकीकरण हुआ।
    1956: राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया।
    1975: सिक्किम को भारत में शामिल किया गया और इसे 36वें संविधान संशोधन (1975) के माध्यम से भारतीय राज्य का दर्जा दिया गया।
    2000: झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ।
    2014: तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग कर भारत का 29वाँ राज्य बनाया गया।
    2019: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित किया गया।

    📌 🔹 Prem Nath Kaul v. State of Jammu & Kashmir (1959)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत केंद्र सरकार को राज्यों की सीमाओं में बदलाव करने का अधिकार प्राप्त है।

     

    निष्कर्ष

     

    संविधान का अनुच्छेद 1 से 4 भारत के क्षेत्रीय ढाँचे को निर्धारित करता है और संसद को राज्यों के पुनर्गठन तथा सीमाओं में परिवर्तन का विशेषाधिकार प्रदान करता है।


    भारतीय संघीयता मजबूत है, लेकिन यह राज्यों को संप्रभुता प्रदान नहीं करता, बल्कि केंद्र को अधिक अधिकार देता है।
    संविधान संसद को यह शक्ति देता है कि वह आवश्यकता अनुसार राज्यों की सीमाएँ बदल सके, नए राज्य बना सके और विदेशी क्षेत्रों को भारत में मिला सके।
    संविधान सभा की बहसों और न्यायपालिका के निर्णयों से यह स्पष्ट होता है कि राज्यों की स्वतंत्रता सीमित है और वे संविधान के अधीन हैं।

     

    📌 "भारतीय संविधान भारत को 'संघ का राज्य' कहता है, जो यह दर्शाता है कि राज्यों की सीमाएँ केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं, लेकिन यह शक्ति न्यायपालिका और संवैधानिक मर्यादाओं द्वारा संतुलित रहती है।"

     

    संघ और उसका राज्यक्षेत्र (Union and Its Territory) – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    भारत का संविधान अनुच्छेद 1 से 4 के तहत "संघ और उसके राज्यक्षेत्र" को परिभाषित करता है। यह स्पष्ट करता है कि भारत एक "राज्यों का संघ" है और इसकी क्षेत्रीय अखंडता सर्वोपरि है। संसद को नए राज्यों के गठन, सीमा परिवर्तन और राज्यों के विलय का अधिकार दिया गया है। यहाँ इस विषय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं:

     

    1. भारतीय संविधान के अनुसार "संघ" और "संघीय राज्य" में क्या अंतर है?

     

    उत्तर:
    "संघ" का अर्थ है कि भारत एक अखंड राष्ट्र है, जहाँ राज्य संविधान द्वारा निर्मित इकाइयाँ हैं और उनकी संप्रभुता सीमित है।
    वहीं, "संघीय राज्य" (जैसे अमेरिका) में प्रत्येक राज्य स्वतंत्र होता है और उसकी संप्रभुता संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त होती है।

    📌 संविधान सभा में डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने स्पष्ट किया –
    👉 "भारत राज्यों का संघ होगा, लेकिन यह राज्यों की सहमति से नहीं बना है, बल्कि यह संविधान द्वारा निर्मित है।"

    📌 🔹 State of West Bengal v. Union of India (1963)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत एक "संघ" है, जहाँ केंद्र को राज्यों पर अधिक नियंत्रण दिया गया है।

     

    2. अनुच्छेद 1 के तहत भारत की क्षेत्रीय परिभाषा क्या है?

     

    उत्तर:
    अनुच्छेद 1(1)
    कहता है कि "भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा।"
    अनुच्छेद 1(2) भारत के राज्यक्षेत्र को तीन भागों में विभाजित करता है:
    1. राज्य (States)जो संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त हैं।
    2. संघ शासित प्रदेश (Union Territories)जिन्हें केंद्र सरकार सीधे प्रशासित करती है।
    3. ऐसे अन्य क्षेत्र (Other Territories)जिन्हें भारत सरकार अधिग्रहित कर सकती है।

    📌 🔹 Berubari Union Case (1960)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि किसी क्षेत्र को भारत से अलग करना हो, तो संविधान संशोधन आवश्यक होगा।

     

    3. नए राज्यों को भारत में शामिल करने का प्रावधान कौन सा है?

     

    उत्तर:
    अनुच्छेद 2
    संसद को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी विदेशी क्षेत्र को भारत में शामिल कर सकता है और उसे एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बना सकता है।

    📌 🔹 उदाहरण:
    🔹 1975 में सिक्किम को भारत में शामिल किया गया और इसे 36वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1975 के तहत भारतीय संघ का पूर्ण राज्य बनाया गया।

    📌 🔹 In Re: Berubari Union (1960)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी विदेशी क्षेत्र को भारत में मिलाने के लिए संसद को विशेष कानून बनाना होगा।

     

    4. भारत में राज्यों का पुनर्गठन और सीमाओं में परिवर्तन कैसे होता है?

    उत्तर:
    अनुच्छेद 3
    संसद को यह शक्ति देता है कि वह –
    🔹 किसी भी राज्य का निर्माण कर सकती है।
    🔹 किसी भी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकती है।
    🔹 दो या अधिक राज्यों का विलय कर सकती है।
    🔹 किसी राज्य का नाम बदल सकती है।

    📌 🔹 उदाहरण:
    🔹 1956 में "राज्य पुनर्गठन अधिनियम" के तहत राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन किया गया।
    🔹 2000 में झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ।
    🔹 2014 में तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग कर नया राज्य बनाया गया।

    📌 🔹 Babulal Parate v. State of Bombay (1960)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य पुनर्गठन संसद की विधायी शक्ति के अंतर्गत आता है और इसके लिए राज्य विधानसभाओं की सहमति आवश्यक नहीं होती।

     

    5. संसद द्वारा राज्यों की सीमाएँ बदलने की प्रक्रिया क्या है?

     

    उत्तर:
    🔹 संसद राज्य की सीमाओं में परिवर्तन के लिए एक विधेयक लाती है।
    🔹 राष्ट्रपति इसे संबंधित राज्य की विधानसभा को संदर्भित करता है, लेकिन उसकी सहमति बाध्यकारी नहीं होती।
    🔹 संसद साधारण बहुमत से विधेयक पारित कर सकती है।

    📌 🔹 State of West Bengal v. Union of India (1963)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान ने केंद्र सरकार को राज्यों के पुनर्गठन और सीमाओं में परिवर्तन की शक्ति प्रदान की है।

     

    6. अनुच्छेद 4 का क्या महत्व है?

     

    उत्तर:
    अनुच्छेद 4
    यह स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून "संविधान संशोधन" नहीं माने जाएँगे, इसलिए इन्हें संसद साधारण कानून द्वारा पारित कर सकती है।

    📌 🔹 State of West Bengal v. Union of India (1963)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करना संसद का विशेषाधिकार है।

     

    7. भारतीय संविधान "संघीय" (Federal) क्यों नहीं कहा जाता?

     

    उत्तर:
    भारत संघीय व्यवस्था और एकात्मक व्यवस्था का मिश्रण है।

    📌 संविधान विशेषज्ञ एम. लक्ष्मीकांत ("भारत की राज्यव्यवस्था") के अनुसार –
    👉 "संविधान ने भारत को एकात्मकता और संघीयता का मिश्रण बनाया है। यहाँ संघीय ढाँचा मौजूद है, लेकिन केंद्र सरकार को राज्यों पर अधिक नियंत्रण दिया गया है।"

    📌 🔹 Kesavananda Bharati v. State of Kerala (1973)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संघीय ढाँचा भारतीय संविधान की "मूल संरचना" (Basic Structure) का हिस्सा है और इसे बदला नहीं जा सकता।

     

    8. जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा कब और कैसे समाप्त किया गया?

     

    उत्तर:
    5 अगस्त 2019 को, अनुच्छेद 370 को राष्ट्रपति के आदेश द्वारा निरस्त कर दिया गया।
    🔹 जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया।
    🔹 इसे संसद में "जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019" के तहत पारित किया गया।

    📌 🔹 Prem Nath Kaul v. State of Jammu & Kashmir (1959)
    👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत केंद्र सरकार को राज्यों की सीमाओं में बदलाव करने का अधिकार प्राप्त है।

     

    विशेष तथ्य- भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संवैधानिक प्रावधान

     

    संविधान का अनुच्छेद 1 से 4 भारत के क्षेत्रीय ढाँचे को निर्धारित करता है और संसद को राज्यों के पुनर्गठन तथा सीमाओं में परिवर्तन का विशेषाधिकार प्रदान करता है।
    भारतीय संघीयता मजबूत है, लेकिन यह राज्यों को संप्रभुता प्रदान नहीं करता, बल्कि केंद्र को अधिक अधिकार देता है।
    भारत की क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने के लिए संसद को शक्तियाँ दी गई हैं, जिससे वह नए राज्यों का निर्माण कर सके या आवश्यकतानुसार सीमाओं में बदलाव कर सके।
    न्यायपालिका ने समय-समय पर यह स्पष्ट किया है कि संविधान के अनुच्छेद 1 से 4 भारत की एकता और अखंडता की गारंटी देते हैं।

    📌 "भारतीय संविधान भारत को 'संघ का राज्य' कहता है, जो यह दर्शाता है कि राज्यों की सीमाएँ केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में हैं, लेकिन यह शक्ति न्यायपालिका और संवैधानिक मर्यादाओं द्वारा संतुलित रहती है।" 🚩

     

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