फज़ल अली आयोग (States
Reorganisation Commission, 1953)
परिचय
स्वतंत्रता के बाद
भारत के प्रशासनिक ढाँचे को व्यवस्थित करने के लिए विभिन्न आयोगों और समितियों का
गठन किया गया। इन्हीं में से एक था फज़ल अली आयोग (States
Reorganisation Commission - SRC, 1953), जिसे भारत
में राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश करने के लिए गठित किया गया था।
🔹 1947 में आज़ादी के बाद,
भारत 500 से अधिक रियासतों और विभिन्न
प्रांतों में विभाजित था, जिनकी
सीमाएँ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारणों से तय की गई
थीं।
🔹 जैसे-जैसे
स्वतंत्र भारत आगे बढ़ा, भाषाई आधार पर राज्यों के
पुनर्गठन की माँग तेज़ होने लगी।
🔹 1953 में फज़ल अली की अध्यक्षता में एक तीन-सदस्यीय आयोग बनाया गया,
जिसने इस मुद्दे का अध्ययन किया और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।
फज़ल अली आयोग का मुख्य उद्देश्य:
✅ भारत में राज्यों
की सीमाओं को फिर से निर्धारित करना।
✅ भाषाई
आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की व्यवहार्यता का अध्ययन
करना।
✅ प्रशासनिक
सुगमता को ध्यान में रखते हुए राज्यों के पुनर्गठन का प्रस्ताव देना।
आयोग का गठन और सदस्य
📌 भारत सरकार ने 22
दिसंबर 1953 को राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC)
का गठन किया।
📌 आयोग
में तीन सदस्य थे:
🟩 फज़ल अली (Fazal
Ali) – अध्यक्ष (Chief Justice of Patna High Court)
🟦 के.
एम. पणिक्कर (K.M. Panikkar) – सदस्य (राजनयिक और
विद्वान)
🟥 एच.एन.
कुंजरू (H.N. Kunzru) – सदस्य (राजनीतिज्ञ और समाज
सुधारक)
📌 आयोग ने 30 सितंबर 1955 को अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री जवाहरलाल
नेहरू को सौंप दी।
आयोग की प्रमुख सिफारिशें
फज़ल अली आयोग ने
निम्नलिखित प्रमुख सिफारिशें दीं:
✅ 1. भारत में राज्यों का
पुनर्गठन भाषाई आधार पर किया जाए – आयोग ने स्वीकार किया
कि भाषा राज्य निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है, लेकिन इसे प्रशासनिक सुविधा और राष्ट्रीय एकता को ध्यान में रखते
हुए लागू किया जाना चाहिए।
✅ 2. कुल 14 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेश बनाए जाएं
– आयोग ने अनुशंसा की कि भारत को भाषाई और प्रशासनिक आधार पर
पुनर्गठित किया जाए।
✅ 3. छोटे राज्यों को बड़े
राज्यों में मिलाया जाए – आयोग ने कुछ छोटे राज्यों को
बड़े राज्यों में विलय करने की सिफारिश की, ताकि प्रशासनिक
बाधाओं को कम किया जा सके।
✅ 4. राज्यों के पुनर्गठन
का राष्ट्रीय एकता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए – आयोग ने चेतावनी दी कि राज्यों के गठन में क्षेत्रीयता और
सांप्रदायिकता को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए।
✅ 5. राज्यों के पुनर्गठन
के लिए एक स्पष्ट संवैधानिक प्रक्रिया होनी चाहिए – आयोग
ने सुझाव दिया कि भविष्य में राज्यों के पुनर्गठन की माँगों के लिए एक स्पष्ट
प्रक्रिया निर्धारित की जाए।
आयोग की रिपोर्ट के
बाद भारत का पुनर्गठन (States Reorganisation Act, 1956)
📌 फज़ल अली आयोग की
रिपोर्ट के आधार पर, 1956 में
"राज्य पुनर्गठन अधिनियम" (States Reorganisation
Act, 1956) लागू किया गया।
📌 इस
अधिनियम के तहत 14 राज्य और 6 केंद्रशासित
प्रदेश बनाए गए।
🟢 1956 में
पुनर्गठित राज्य:
🔹 आंध्र प्रदेश
🔹 असम
🔹 बिहार
🔹 बॉम्बे
(अब महाराष्ट्र और गुजरात)
🔹 केरल
🔹 मद्रास
(अब तमिलनाडु)
🔹 मध्य
प्रदेश
🔹 मैसूर
(अब कर्नाटक)
🔹 उड़ीसा
(अब ओडिशा)
🔹 पंजाब
🔹 राजस्थान
🔹 उत्तर
प्रदेश
🔹 पश्चिम
बंगाल
🟠 6 केंद्रशासित
प्रदेश (Union Territories):
🔸 अंडमान और निकोबार
द्वीप समूह
🔸 दिल्ली
🔸 लक्षद्वीप
🔸 चंडीगढ़
🔸 दादरा
और नगर हवेली
🔸 हिमाचल
प्रदेश
भारतीय संविधान और राज्य पुनर्गठन की संवैधानिक व्यवस्था
📌 संविधान के अनुच्छेद
3 और 4 राज्यों के पुनर्गठन से संबंधित
हैं:
✅ अनुच्छेद 3:
👉 संसद
को यह अधिकार देता है कि वह नए राज्यों का निर्माण कर सकती है, मौजूदा राज्यों को विभाजित कर सकती है या उनकी सीमाएँ बदल सकती है।
✅ अनुच्छेद 4:
👉 यह
स्पष्ट करता है कि अनुच्छेद 3 के तहत पारित कोई भी
कानून संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा, और इसे संसद के
साधारण बहुमत से पारित किया जा सकता है।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय:
🔹 State of West Bengal v. Union of
India (1963) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों का पुनर्गठन
पूरी तरह से संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
🔹 Babulal Parate v. State of Bombay
(1960) – न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य पुनर्गठन के लिए
राज्यों की सहमति आवश्यक नहीं है, संसद को पूर्ण
अधिकार प्राप्त है।
🔹 Kesavananda Bharati v. State of
Kerala (1973) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान की
"मूल संरचना" (Basic Structure) को
बदले बिना, संसद राज्यों का पुनर्गठन कर सकती है।
निष्कर्ष: फज़ल अली आयोग का ऐतिहासिक महत्व
✅ फज़ल अली आयोग (1953)
ने भारतीय राज्यों के पुनर्गठन की नींव रखी और देश को
प्रशासनिक रूप से अधिक संगठित और कुशल बनाया।
✅ इस आयोग की
सिफारिशों के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम
लागू किया गया, जिससे भारत में भाषाई आधार पर राज्यों
का निर्माण हुआ।
✅ अनुच्छेद
3 और 4 के तहत संसद को राज्यों की
सीमाएँ बदलने और नए राज्यों के गठन की शक्ति प्राप्त है।
✅ इस आयोग ने
भारत की राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक सुगमता को ध्यान में रखते हुए राज्यों
के पुनर्गठन की सिफारिश की।
📌 "फज़ल अली आयोग
ने भारत के प्रशासनिक ढाँचे को नई दिशा दी और राज्यों के पुनर्गठन को राष्ट्रीय
हित के अनुसार ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।" 🚩
अक्सर पूछे जाने
वाले प्रश्न (FAQs) – फज़ल अली आयोग (States
Reorganisation Commission, 1953)
🔶 1. फज़ल
अली आयोग क्या था?
✅ फज़ल अली आयोग (States
Reorganisation Commission - SRC, 1953) भारत में राज्यों के
पुनर्गठन के लिए गठित एक विशेष आयोग था, जिसे राज्य
निर्माण की व्यवहार्यता और पुनर्गठन के आधारों का अध्ययन करने के लिए नियुक्त
किया गया था।
📌 मुख्य उद्देश्य:
🔹 राज्यों
की सीमाओं का पुनर्निर्धारण।
🔹 भाषाई
आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की व्यवहार्यता का मूल्यांकन।
🔹 प्रशासनिक
और आर्थिक दृष्टि से प्रभावी राज्यों का गठन।
🔶 2. फज़ल
अली आयोग कब और किसके नेतृत्व में बना?
✅ 22 दिसंबर 1953
को भारत सरकार ने फज़ल अली आयोग का गठन किया।
📌 तीन सदस्यीय आयोग:
🟩 फज़ल
अली (Fazal Ali) – अध्यक्ष (Chief Justice of
Patna High Court)
🟦 के.
एम. पणिक्कर (K.M. Panikkar) – सदस्य (राजनयिक और
विद्वान)
🟥 एच.एन.
कुंजरू (H.N. Kunzru) – सदस्य (राजनीतिज्ञ और समाज
सुधारक)
📌 रिपोर्ट सौंपने की
तिथि: 30 सितंबर 1955
🔶 3. फज़ल
अली आयोग की मुख्य सिफारिशें क्या थीं?
✅ फज़ल अली आयोग ने
निम्नलिखित सिफारिशें दीं:
🔹 भाषाई आधार पर
राज्यों का पुनर्गठन किया जाए, लेकिन राष्ट्रीय एकता को
प्राथमिकता दी जाए।
🔹 भारत
को 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित
प्रदेशों में पुनर्गठित किया जाए।
🔹 छोटे
राज्यों को बड़े राज्यों में मिलाया जाए, ताकि
प्रशासनिक दक्षता बनी रहे।
🔹 राज्यों
के गठन के दौरान क्षेत्रीयता और सांप्रदायिकता को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए।
🔹 राज्यों
के पुनर्गठन के लिए संविधान में स्पष्ट प्रक्रिया होनी चाहिए।
🔶 4. राज्य
पुनर्गठन अधिनियम, 1956 क्या था?
✅ 1956 में "राज्य पुनर्गठन अधिनियम" (States Reorganisation Act, 1956) लागू किया गया, जो फज़ल अली आयोग की रिपोर्ट पर
आधारित था।
📌 इसके परिणामस्वरूप:
🔹 भारत
को 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित
प्रदेशों में विभाजित किया गया।
🔹 भाषाई
आधार पर राज्यों का गठन हुआ।
🔹 मद्रास
राज्य से तमिलनाडु, बॉम्बे से महाराष्ट्र और गुजरात, पंजाब से हरियाणा और आंध्र प्रदेश का गठन हुआ।
📌 1956 में पुनर्गठित
राज्य:
🟢 राज्य: आंध्र प्रदेश, असम, बिहार,
बॉम्बे (अब महाराष्ट्र और गुजरात), केरल,
मद्रास (अब तमिलनाडु), मध्य प्रदेश, मैसूर (अब कर्नाटक), उड़ीसा (अब ओडिशा), पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश,
पश्चिम बंगाल।
🟠 केंद्रशासित
प्रदेश: अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, दिल्ली, लक्षद्वीप, चंडीगढ़,
दादरा और नगर हवेली, हिमाचल प्रदेश।
🔶 5. भारतीय
संविधान के कौन-कौन से अनुच्छेद राज्य पुनर्गठन से संबंधित हैं?
📌 संविधान के अनुच्छेद
3 और 4 राज्यों के पुनर्गठन से जुड़े
हैं:
✅ अनुच्छेद 3:
👉 संसद
को राज्यों का निर्माण, विभाजन और सीमाएँ बदलने का अधिकार
देता है।
✅ अनुच्छेद 4:
👉 अनुच्छेद
3 के तहत पारित कोई भी कानून संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा और इसे साधारण बहुमत से पास किया जा सकता है।
🔶 6. क्या
राज्यों के पुनर्गठन के लिए राज्यों की सहमति आवश्यक होती है?
✅ नहीं, राज्यों की सहमति आवश्यक नहीं होती।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔹 State of West Bengal v. Union of
India (1963) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों का पुनर्गठन
पूरी तरह से संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
🔹 Babulal Parate v. State of Bombay
(1960) – न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राज्य पुनर्गठन के लिए
राज्यों की सहमति अनिवार्य नहीं है, यह पूरी तरह संसद
के अधिकार में है।
🔶 7. फज़ल
अली आयोग का प्रभाव क्या था?
✅ फज़ल अली आयोग की रिपोर्ट
ने भारत में राज्यों के पुनर्गठन की नींव रखी और 1956
में राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू किया गया।
📌 प्रभाव:
🔹 भारत
में भाषाई आधार पर राज्यों का निर्माण हुआ।
🔹 प्रशासनिक
रूप से राज्यों को बेहतर ढंग से संगठित किया गया।
🔹 संविधान
में अनुच्छेद 3 और 4 के तहत
राज्यों के पुनर्गठन की स्पष्ट व्यवस्था बनी।
🔹 राष्ट्रीय
एकता और प्रशासनिक सुगमता को प्राथमिकता दी गई।
🔶 8. क्या
फज़ल अली आयोग की रिपोर्ट के बाद भी राज्यों में बदलाव हुए?
✅ हाँ, भारत में 1956 के बाद भी कई राज्यों का पुनर्गठन
हुआ।
📌 कुछ महत्वपूर्ण
राज्य पुनर्गठन:
🔹 1960 – बॉम्बे
राज्य को विभाजित कर महाराष्ट्र और गुजरात बनाए गए।
🔹 1966 – पंजाब को विभाजित कर हरियाणा और हिमाचल प्रदेश बनाए गए।
🔹 2000 – झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ।
🔹 2014 – तेलंगाना का गठन हुआ, जो आंध्र प्रदेश से अलग
हुआ।
📌 न्यायालय ने इसे
संवैधानिक रूप से वैध ठहराया, क्योंकि अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति प्रदान करता है।
संक्षेप में,
✅ फज़ल अली आयोग (1953)
भारत में राज्यों के पुनर्गठन का सबसे महत्वपूर्ण आधार बना।
✅ 1956 में
राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू हुआ, जिससे भारत में भाषाई आधार
पर राज्यों का गठन हुआ।
✅ अनुच्छेद
3 और 4 के तहत संसद को राज्यों की
सीमाएँ बदलने और नए राज्यों के गठन की शक्ति प्राप्त है।
✅ इस आयोग
ने भारत की राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक दक्षता को ध्यान में रखते हुए राज्यों के
पुनर्गठन की सिफारिश की।
"फज़ल अली आयोग ने भारत के प्रशासनिक ढाँचे को नई दिशा दी और राज्यों के
पुनर्गठन को राष्ट्रीय हित के अनुसार ढालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।"