आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए शैक्षिक संस्थान एवं सरकारी नौकरी में आरक्षण: एक संवैधानिक विश्लेषण। Reservation in Educational Institutions and Government Jobs for Economically Weaker Sections (EWS): A Constitutional Analysis

Jobs for Economically Weaker Sections (EWS)


आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए शैक्षिक संस्थान एवं सरकारी नौकरी में आरक्षण: एक संवैधानिक विश्लेषण


परिचय

🔷भारतीय संविधान का मूल सिद्धांत समानता और सामाजिक न्याय है। समाज में आर्थिक असमानता को देखते हुए, सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (Economically Weaker Sections - EWS) के लिए शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान किया। 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के तहत, सरकार ने अनुच्छेद 15(6) और अनुच्छेद 16(6) जोड़े, जिससे सामान्य वर्ग (General Category) के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10% आरक्षण की सुविधा दी गई।

यह आरक्षण उन लोगों के लिए लागू किया गया, जो सामाजिक रूप से पिछड़े तो नहीं हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर हैं। यह निर्णय भारतीय समाज में एक बड़ा बदलाव लाने वाला साबित हुआ, क्योंकि इससे पहली बार आर्थिक आधार पर आरक्षण की संवैधानिक मान्यता मिली।

इस लेख में हम EWS आरक्षण की संवैधानिक वैधता, न्यायिक फैसलों, सरकारी नीतियों और इसके समाज पर प्रभाव का गहन विश्लेषण करेंगे।


भारतीय संविधान में EWS आरक्षण का कानूनी आधार

 

EWS आरक्षण को 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा लागू किया गया। इसके तहत निम्नलिखित संवैधानिक प्रावधान किए गए:

 

1. अनुच्छेद 15(6) – शैक्षिक संस्थानों में आरक्षण

 

अनुच्छेद 15(6) के अनुसार, राज्य सरकार और केंद्र सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए शैक्षिक संस्थानों में 10% तक आरक्षण प्रदान कर सकती हैं
यह आरक्षण अनुच्छेद 15(5) के अंतर्गत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए दिए गए आरक्षण से अलग होगा
यह प्रावधान निजी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों पर भी लागू होगा, लेकिन अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों (Minority Educational Institutions) को इससे छूट दी गई है।

 

2. अनुच्छेद 16(6) – सरकारी नौकरियों में आरक्षण

 

अनुच्छेद 16(6) सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10% आरक्षण की अनुमति देता है।
यह आरक्षण OBC, SC, और ST को मिलने वाले आरक्षण के अतिरिक्त होगा, न कि उसके हिस्से को कम करके दिया जाएगा


EWS आरक्षण के लिए पात्रता (Eligibility Criteria for EWS Reservation)

 

सरकार ने EWS आरक्षण का लाभ लेने के लिए कुछ निश्चित आर्थिक और संपत्ति-संबंधी मापदंड निर्धारित किए हैं:

 

आय सीमा:


परिवार की वार्षिक आय ₹8 लाख से कम होनी चाहिए। (यह आय वेतन, कृषि, व्यापार और अन्य स्रोतों से प्राप्त कुल आय को शामिल करती है।)

 

भूमि और संपत्ति:


5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए।
1000 वर्ग फुट से अधिक का फ्लैट नहीं होना चाहिए।
अधिसूचित नगरपालिकाओं में 100 गज से अधिक का प्लॉट नहीं होना चाहिए।

 

अन्य आरक्षित वर्गों (SC/ST/OBC) के सदस्य EWS आरक्षण के पात्र नहीं हैं


EWS आरक्षण पर महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले

 

1. जनहित अभियान बनाम भारत संघ (2022)

 

यह मामला सुप्रीम कोर्ट में EWS आरक्षण की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए दायर किया गया था।
याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि सामान्य वर्ग के भीतर ही आरक्षण देना संविधान के मूलभूत ढांचे (Basic Structure) का उल्लंघन करता है
7 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट की 5-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 3:2 के बहुमत से EWS आरक्षण को संवैधानिक रूप से वैध घोषित किया।

 

2. इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ (1992) – मंडल आयोग मामला

 

इस फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% होनी चाहिए
लेकिन, 103वें संविधान संशोधन के तहत इस सीमा को लांघते हुए EWS के लिए अतिरिक्त 10% आरक्षण लागू किया गया

 

3. अशोक कुमार ठाकुर बनाम भारत संघ (2008)

 

न्यायालय ने कहा कि आरक्षण केवल पिछड़े वर्गों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी लागू किया जा सकता है


EWS आरक्षण का सामाजिक और कानूनी प्रभाव

 

शिक्षा में समान अवसर:


उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए सामान्य वर्ग के गरीब विद्यार्थियों को पहली बार आरक्षण का लाभ मिला।

आर्थिक आधार पर आरक्षण की संवैधानिक स्वीकृति:


यह पहली बार था जब भारत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण की संवैधानिक वैधता मिली।

 

आरक्षण सीमा का उल्लंघन:


इससे पहले, सर्वोच्च न्यायालय ने 50% की सीमा तय की थी। लेकिन EWS आरक्षण के लागू होने के बाद कुल आरक्षण 59.5% (SC - 15%, ST - 7.5%, OBC - 27%, EWS - 10%) हो गया

 

निजी शिक्षण संस्थानों पर प्रभाव:


यह आरक्षण नीति निजी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों पर भी लागू की गई, जिससे शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता प्रभावित हुई।

 

न्यायपालिका और सरकार के बीच संतुलन:


सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को सही ठहराया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में इसे लेकर समीक्षा की जा सकती है।


निष्कर्ष

EWS आरक्षण भारतीय संविधान के मूलभूत सिद्धांतों के अनुरूप है, क्योंकि यह समानता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है।
103वें संविधान संशोधन ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण को संवैधानिक रूप से मान्यता दी।
सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को वैध ठहराया, लेकिन आरक्षण की 50% सीमा को लांघना एक नई संवैधानिक बहस को जन्म दे सकता है।
यह आरक्षण नीति उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए लाभकारी साबित हुई है, लेकिन इसके प्रभावों पर सतत समीक्षा की आवश्यकता होगी।

"सामाजिक समानता केवल जाति पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि आर्थिक कमजोर वर्गों को भी उचित अवसर मिलना चाहिए।"

 

EWS आरक्षण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण सवाल (FAQs)

 

7. क्या EWS आरक्षण असंवैधानिक है?

नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया है

 

8. क्या EWS आरक्षण के तहत पदोन्नति (Promotion) में आरक्षण मिलता है?

नहीं। EWS आरक्षण केवल शैक्षिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए लागू है, पदोन्नति के लिए नहीं।

 

9. क्या निजी कंपनियों में EWS आरक्षण लागू होता है?

नहीं। यह केवल सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों में लागू है।

 

10. क्या राज्य सरकारें EWS आरक्षण को अस्वीकार कर सकती हैं?

नहीं। EWS आरक्षण संविधान संशोधन के तहत लागू किया गया है, इसलिए राज्य सरकारों को इसे मानना होगा।

 

11. क्या EWS प्रमाण पत्र पूरे भारत में मान्य होता है?

केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया EWS प्रमाण पत्र पूरे भारत में मान्य होता है। हालाँकि, कुछ राज्य सरकारों के अलग-अलग नियम हो सकते हैं

 

12. क्या EWS उम्मीदवारों को छात्रवृत्ति (Scholarship) मिलती है?

हाँ। सरकार और निजी संस्थान EWS छात्रों के लिए विशेष छात्रवृत्ति योजनाएँ चलाते हैं।

 

13. क्या EWS आरक्षण अस्थायी है?

संविधान में इस पर कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। हालाँकि, भविष्य में सरकार और न्यायपालिका इस पर पुनर्विचार कर सकते हैं

 

 

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