धर आयोग और जवाहरलाल नेहरू योजना समिति (JVP समिति): भारतीय राज्यों के पुनर्गठन की ऐतिहासिक यात्रा। Dhar Commission and Jawaharlal Nehru Planning Committee (JVP Committee): The Historical Journey of Reorganisation of Indian States.

 

धर आयोग और जवाहरलाल नेहरू योजना समिति (JVP समिति): भारतीय राज्यों के पुनर्गठन की ऐतिहासिक यात्रा


धर आयोग और जवाहरलाल नेहरू योजना समिति (JVP समिति): भारतीय राज्यों के पुनर्गठन की ऐतिहासिक यात्रा

 

परिचय

 

भारत की स्वतंत्रता के बाद, देश के प्रशासनिक और राजनीतिक ढांचे को मजबूत करने के लिए कई आयोगों और समितियों का गठन किया गया। इनमें धर आयोग (Dhar Commission) और जवाहरलाल नेहरू-वल्लभभाई पटेल-पट्टाभि सीतारमैया समिति (JVP समिति) का विशेष महत्व रहा है। ये दोनों संस्थाएँ भारतीय राज्यों के पुनर्गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

धर आयोग का उद्देश्य भारत में राज्यों को पुनर्गठित करने का मार्गदर्शन करना था, जबकि JVP समिति ने राज्यों के गठन में भाषाई आधार पर विचार किया। इन समितियों की सिफारिशों का भारतीय राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा और आगे चलकर राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 का मार्ग प्रशस्त हुआ।

 

धर आयोग (Dhar Commission) का गठन और उद्देश्य

🔹 भारत के स्वतंत्र होने के बाद राज्यों के पुनर्गठन की माँग उठी। विभिन्न भाषाई समूह अपने लिए अलग राज्यों की माँग करने लगे। इसे देखते हुए सरकार ने 1948 में धर आयोग का गठन किया।

 

धर आयोग का गठन

 

गठन वर्ष: 1948
अध्यक्ष: न्यायमूर्ति एस.के. धर (Justice S.K. Dhar)
मुख्य उद्देश्य: भारत में राज्यों के पुनर्गठन के लिए एक ठोस आधार तैयार करना।

 

धर आयोग की प्रमुख सिफारिशें

 

राज्यों के पुनर्गठन का आधार भाषाई नहीं बल्कि प्रशासनिक और आर्थिक होना चाहिए।
भाषाई आधार पर राज्यों का निर्माण राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा हो सकता है।
राज्यों को भौगोलिक, आर्थिक और प्रशासनिक सुविधा के अनुसार पुनर्गठित किया जाना चाहिए।

 

धर आयोग का प्रभाव

 

धर आयोग की रिपोर्ट ने भाषाई राज्यों के गठन के विचार को अस्वीकार कर दिया, जिससे जनता में असंतोष बढ़ा और सरकार को इस पर पुनर्विचार करना पड़ा। इसके बाद, JVP समिति का गठन किया गया।

 

जवाहरलाल नेहरू योजना समिति (JVP समिति) का गठन और उद्देश्य

 

धर आयोग की सिफारिशों से जनता में असंतोष फैला, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ भाषाई आधार पर राज्यों की माँग हो रही थी। इसे ध्यान में रखते हुए JVP समिति का गठन किया गया।

 

JVP समिति का गठन

 

गठन वर्ष: 1948
सदस्य:

  • जवाहरलाल नेहरू (प्रधानमंत्री)
  • वल्लभभाई पटेल (गृहमंत्री)
  • पट्टाभि सीतारमैया (वरिष्ठ कांग्रेस नेता)
    मुख्य उद्देश्य: भाषाई आधार पर राज्यों के गठन के मुद्दे की समीक्षा करना और सरकार को सिफारिशें देना।

 

JVP समिति की प्रमुख सिफारिशें

 

राज्यों का गठन केवल भाषाई आधार पर नहीं किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक सुविधा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
जब तक कोई बहुत मजबूत कारण न हो, तब तक राज्यों का पुनर्गठन स्थगित किया जाए।

 

JVP समिति का प्रभाव

 

JVP समिति की रिपोर्ट के बाद 1953 में आंध्र राज्य का गठन किया गया, जिससे भाषाई राज्यों के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ और बाद में राज्य पुनर्गठन आयोग (State Reorganisation Commission - 1953) का गठन हुआ।

 

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 और भाषाई राज्यों का गठन

 

JVP समिति की सिफारिशों के बावजूद तेलुगु भाषी लोगों की माँग पर आंध्र प्रदेश का गठन हुआ। इसके बाद, विभिन्न राज्यों में भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की माँग बढ़ गई।

इस स्थिति को देखते हुए 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) का गठन किया गया, जिसकी सिफारिशों पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित किया गया

 

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के प्रमुख परिणाम
 

भारत को 14 राज्य और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया।
भाषाई आधार पर राज्यों का गठन किया गया।
मद्रास राज्य से तमिलनाडु, पंजाब से हरियाणा, और मुंबई से गुजरात और महाराष्ट्र का गठन हुआ।

📌 न्यायिक निर्णय:

🔹 बाबू राव बनाम महाराष्ट्र राज्य (Babu Rao v. State of Maharashtra, 1960) में सुप्रीम कोर्ट ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को वैध माना और इसे संविधान के अनुरूप बताया।

 

भारतीय संविधान और राज्यों के पुनर्गठन की संवैधानिक व्यवस्था

 

राज्यों के पुनर्गठन और सीमाओं में बदलाव की शक्ति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 में निहित है।

 

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण अनुच्छेद

 

अनुच्छेद 3संसद को राज्यों के पुनर्गठन, विभाजन, सीमाओं में परिवर्तन और नए राज्यों के निर्माण का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 4अनुच्छेद 3 के तहत बनाए गए कानून संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे और इन्हें संसद साधारण बहुमत से पारित कर सकती है।
अनुच्छेद 1भारत को "राज्यों का संघ" घोषित करता है, जिसमें राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का स्पष्ट उल्लेख है।

 

न्यायिक निर्णय:


🔹
State of West Bengal v. Union of India (1963) में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान ने केंद्र को राज्यों के पुनर्गठन का पूर्ण अधिकार दिया है, जिससे भारत की एकता और अखंडता बनी रहे।

 

निष्कर्ष: धर आयोग और JVP समिति का ऐतिहासिक महत्व

 

धर आयोग (1948) ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को अस्वीकार किया और प्रशासनिक व आर्थिक आधार को प्राथमिकता दी।
JVP समिति (1948) ने राज्यों के गठन के लिए भाषा को मुख्य आधार न बनाने की सिफारिश की, लेकिन यह माँग आगे बढ़ती रही।
1953 में आंध्र प्रदेश का गठन हुआ, जिससे अन्य भाषाई समूहों की माँग तेज हुई।
1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ, जिससे भाषाई आधार पर राज्यों का गठन किया गया।
संविधान के अनुच्छेद 3 और 4 के तहत संसद को राज्यों की सीमाएँ बदलने और नए राज्यों के गठन की शक्ति प्राप्त है।

 

"धर आयोग और JVP समिति ने भारतीय राज्यों के पुनर्गठन की नींव रखी, जिससे भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती मिली।"

 

धर आयोग और जवाहरलाल नेहरू योजना समिति (JVP समिति) से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

 

1. धर आयोग (Dhar Commission) क्या था और इसका गठन क्यों किया गया?

 

धर आयोग 1948 में भारत सरकार द्वारा गठित एक आयोग था, जिसका उद्देश्य राज्यों के पुनर्गठन का आधार निर्धारित करना था। इस आयोग का नेतृत्व न्यायमूर्ति एस.के. धर ने किया था।
यह आयोग भारत में राज्यों की भाषाई आधार पर पुनर्गठन की माँग के जवाब में स्थापित किया गया था।

 

2. धर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में क्या सिफारिशें दी थीं?

 

धर आयोग ने भाषा के बजाय प्रशासनिक और आर्थिक आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश की।
आयोग का मानना था कि भाषाई आधार पर राज्यों का गठन राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा हो सकता है।
इसने सुझाव दिया कि राज्यों को भौगोलिक, आर्थिक और प्रशासनिक सुविधा के आधार पर पुनर्गठित किया जाना चाहिए।

 

3. धर आयोग की रिपोर्ट को क्यों अस्वीकार कर दिया गया?

 

धर आयोग की सिफारिशें जनता को स्वीकार्य नहीं थीं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ भाषाई आधार पर राज्यों की माँग की जा रही थी।
इसके बाद, सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करने के लिए JVP समिति का गठन करना पड़ा।

 

4. JVP समिति क्या थी और इसका उद्देश्य क्या था?

 

JVP समिति (Jawaharlal Nehru, Vallabhbhai Patel, Pattabhi Sitaramayya Committee) 1948 में गठित एक समिति थी।
इसका उद्देश्य भाषाई आधार पर राज्यों के गठन के मुद्दे की समीक्षा करना था।

 

5. JVP समिति की प्रमुख सिफारिशें क्या थीं?

 

JVP समिति ने सुझाव दिया कि राज्यों का गठन केवल भाषाई आधार पर नहीं किया जाना चाहिए
समिति ने राष्ट्रीय एकता और प्रशासनिक सुविधा को प्राथमिकता देने की सिफारिश की।
जब तक कोई बहुत मजबूत कारण न हो, तब तक राज्यों का पुनर्गठन स्थगित किया जाए।

 

6. JVP समिति की रिपोर्ट के बाद क्या हुआ?

 

JVP समिति की रिपोर्ट के बावजूद, तेलुगु भाषी लोगों ने अलग राज्य की माँग की
1953 में आंध्र प्रदेश राज्य की स्थापना हुई, जिससे भाषाई राज्यों के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
1953 में ही राज्य पुनर्गठन आयोग (State Reorganisation Commission - SRC) का गठन किया गया।

 

7. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 क्या था?

 

1956 में पारित राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत भारत को 14 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किया गया
यह अधिनियम SRC की सिफारिशों के आधार पर पारित किया गया था।

 

8. राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के प्रमुख परिणाम क्या थे?

 

भारत में भाषाई आधार पर राज्यों का गठन किया गया।
मद्रास राज्य से तमिलनाडु, पंजाब से हरियाणा, और मुंबई से गुजरात और महाराष्ट्र का गठन हुआ।
इससे भारत में प्रशासनिक स्थिरता और नागरिक संतोष बढ़ा।

 

9. भारतीय संविधान के तहत राज्यों के पुनर्गठन की संवैधानिक व्यवस्था क्या है?

 

अनुच्छेद 3संसद को राज्यों के पुनर्गठन, विभाजन, सीमाओं में परिवर्तन और नए राज्यों के निर्माण का अधिकार देता है।
अनुच्छेद 4अनुच्छेद 3 के तहत बनाए गए कानून संविधान संशोधन नहीं माने जाएंगे और इन्हें संसद साधारण बहुमत से पारित कर सकती है

 

10. राज्य पुनर्गठन के संबंध में न्यायपालिका का क्या मत रहा है?

 

📌 State of West Bengal v. Union of India (1963)
👉 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान ने केंद्र को राज्यों के पुनर्गठन का पूर्ण अधिकार दिया है, जिससे भारत की एकता और अखंडता बनी रहे।

📌 बाबू राव बनाम महाराष्ट्र राज्य (1960)
👉 सुप्रीम कोर्ट ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को वैध माना और इसे संविधान के अनुरूप बताया।

 

11. JVP समिति और धर आयोग भारतीय राजनीति के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?

 

धर आयोग ने राज्यों के पुनर्गठन की एक ठोस योजना दी, भले ही इसे स्वीकार नहीं किया गया।
JVP समिति ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन की माँग को अस्थायी रूप से रोका, जिससे राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में मदद मिली।
इन दोनों संस्थाओं की रिपोर्टों ने आगे चलकर राज्य पुनर्गठन आयोग (1953) और राज्य पुनर्गठन अधिनियम (1956) की नींव रखी।

 

12. क्या भारत में अभी भी राज्यों के पुनर्गठन की संभावनाएँ हैं?

 

हाँ, संविधान के अनुच्छेद 3 और 4 के तहत संसद को नए राज्यों के निर्माण और मौजूदा राज्यों के पुनर्गठन की शक्ति प्राप्त है
हाल के दशकों में झारखंड (2000), उत्तराखंड (2000), छत्तीसगढ़ (2000) और तेलंगाना (2014) का गठन हुआ है।
कई अन्य क्षेत्र गोरखालैंड, विदर्भ, और हरित प्रदेश जैसे नए राज्यों की माँग कर रहे हैं

 

धर आयोग और JVP समिति का ऐतिहासिक महत्व

 

धर आयोग (1948) ने भाषाई आधार पर राज्यों के गठन को अस्वीकार किया और प्रशासनिक व आर्थिक आधार को प्राथमिकता दी।
JVP समिति (1948) ने राज्यों के गठन के लिए भाषा को मुख्य आधार न बनाने की सिफारिश की, लेकिन यह माँग आगे बढ़ती रही।
1953 में आंध्र प्रदेश का गठन हुआ, जिससे अन्य भाषाई समूहों की माँग तेज हुई।
1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पारित हुआ, जिससे भाषाई आधार पर राज्यों का गठन किया गया।
संविधान के अनुच्छेद 3 और 4 के तहत संसद को राज्यों की सीमाएँ बदलने और नए राज्यों के गठन की शक्ति प्राप्त है।

 

"धर आयोग और JVP समिति ने भारतीय राज्यों के पुनर्गठन की नींव रखी, जिससे भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूती मिली।"

 

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