बांग्लादेश के साथ क्षेत्रों का आदान-प्रदान: 100वां संविधान संशोधन, 2015.
प्रस्तावना
भारत और बांग्लादेश
के बीच सीमा विवाद दशकों से चले आ रहे थे, जो 1947
में भारत विभाजन के बाद उत्पन्न हुए। इन विवादों को सुलझाने के लिए 1974
में भूमि सीमा समझौता (Land Boundary Agreement - LBA) किया गया था, लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा
सका। 100वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2015 के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच अंततः भूमि का औपचारिक आदान-प्रदान हुआ।
यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 368 के
तहत पारित किया गया था, जिसने संविधान की पहली अनुसूची
में संशोधन कर भारत और बांग्लादेश की सीमा को विधिवत रूप से परिभाषित किया।
इस लेख में हम 100वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2015 की विस्तृत व्याख्या करेंगे, जिसमें इसका ऐतिहासिक
संदर्भ, संवैधानिक प्रक्रिया, न्यायिक
दृष्टिकोण, और इसके प्रभाव को शामिल किया जाएगा।
भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
📌1947: भारत
विभाजन और विवाद की शुरुआत
🔹 भारत और बांग्लादेश
(तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) के बीच 4,096.7 किलोमीटर लंबी
सीमा है।
🔹 1947 में रैडक्लिफ़ अवॉर्ड के तहत भारत और पाकिस्तान की सीमाएँ तय की गई
थीं, लेकिन सीमांकन में कई त्रुटियाँ थीं, जिससे "छिटपुट क्षेत्र" (Enclaves)
का मुद्दा उत्पन्न हुआ।
🔹 ये
छिटपुट क्षेत्र ऐसे गाँव थे जो भौगोलिक रूप से एक देश के अंदर थे, लेकिन प्रशासनिक रूप से दूसरे देश के अंतर्गत आते थे।
📌 1974: भारत-बांग्लादेश
भूमि सीमा समझौता (LBA)
🔹 बांग्लादेश के स्वतंत्र
होने के बाद 16 मई 1974 को भारत
और बांग्लादेश के बीच इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान ने एक समझौते पर
हस्ताक्षर किए।
🔹 इस
समझौते के तहत छिटपुट क्षेत्रों का आदान-प्रदान करने का निर्णय लिया गया,
लेकिन भारत की संसद ने इसे तब स्वीकृति नहीं दी।
📌 2011: भारत-बांग्लादेश
भूमि सीमा समझौता (संशोधित प्रोटोकॉल)
🔹 2011 में भारत के
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस समझौते में कुछ संशोधन किए और इसे लागू करने का निर्णय लिया।
🔹 लेकिन
यह प्रक्रिया पूरी करने के लिए भारत को अपने संविधान की पहली अनुसूची में
संशोधन करना पड़ा, जिसके लिए 100वें
संविधान संशोधन अधिनियम की आवश्यकता हुई।
100वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2015: प्रमुख प्रावधान
📌 100वें
संविधान संशोधन के तहत किए गए बदलाव
🔹 संविधान की पहली
अनुसूची में संशोधन कर भारत के चार राज्यों – असम,
पश्चिम बंगाल, मेघालय, और
त्रिपुरा – की सीमा में परिवर्तन किया गया।
🔹 भारत
ने 51 अंतःक्षेत्र (Enclaves) बांग्लादेश
को हस्तांतरित किए, जबकि बांग्लादेश ने 111 अंतःक्षेत्र भारत को सौंपे।
🔹 कुल
162 छिटपुट क्षेत्रों (Enclaves) का
आदान-प्रदान किया गया, जिसमें लगभग 37,334 एकड़ भूमि शामिल थी।
🔹 इसके
अतिरिक्त, 6.1 किलोमीटर की अचिह्नित सीमा का सीमांकन भी किया गया।
संवैधानिक और कानूनी प्रक्रिया
📌 अनुच्छेद 368:
संविधान संशोधन की शक्ति
🔹 संविधान के अनुच्छेद
368 के तहत संसद को संविधान संशोधन का अधिकार प्राप्त
है।
🔹 100वां
संशोधन इसी अनुच्छेद के तहत पारित किया गया, जिससे संविधान
की पहली अनुसूची में संशोधन किया गया।
📌 संसद में
विधायी प्रक्रिया
🔹 6 मई 2015
को लोकसभा में यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हुआ।
🔹 7 मई 2015 को इसे राज्यसभा ने भी मंजूरी दे दी।
🔹 28 मई 2015 को इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त
हुई।
🔹 1 अगस्त 2015 से यह अधिनियम लागू हुआ।
न्यायिक दृष्टिकोण और महत्वपूर्ण निर्णय
📌 सर्वोच्च
न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णय
🔹 Berubari Union Case (1960):
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत
का कोई भी क्षेत्र किसी अन्य देश को देने के लिए संविधान में संशोधन आवश्यक
है।
🔹 State of West Bengal v. Union of
India (1963):
- न्यायालय ने कहा कि संविधान
में संघीयता और संप्रभुता बनाए रखने के लिए राज्यों की सीमाओं में बदलाव संसद
के विशेषाधिकार में आता है।
🔹 Keshavananda Bharati v. State of
Kerala (1973):
- सुप्रीम कोर्ट ने यह स्थापित किया
कि संविधान का मूल ढाँचा (Basic Structure) बदला नहीं जा सकता, लेकिन
अनुच्छेद 368 के तहत संसद को संशोधन करने की शक्ति
प्राप्त है।
इस समझौते के प्रभाव और लाभ
📌 भारत और
बांग्लादेश के संबंधों पर प्रभाव
✅ भारत और बांग्लादेश के बीच राजनयिक
संबंधों में सुधार हुआ।
✅ अवैध
घुसपैठ और सीमा विवादों में कमी आई।
✅ सीमावर्ती
क्षेत्रों के नागरिकों को राष्ट्रीय पहचान मिली।
📌 स्थानीय
नागरिकों पर प्रभाव
✅ भारत और बांग्लादेश के 50,000
से अधिक नागरिकों को नागरिकता प्राप्त हुई।
✅ सीमावर्ती
गाँवों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार हुआ।
✅ नए
प्रशासनिक ढाँचे का निर्माण किया गया।
निष्कर्ष: 100वां संविधान संशोधन की संवैधानिक और राजनयिक महत्ता
🔹 100वां संविधान
संशोधन अधिनियम, 2015, भारत और बांग्लादेश के बीच दशकों
से चले आ रहे सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान था।
🔹 इस
समझौते के तहत दोनों देशों ने अपने-अपने क्षेत्रों का कानूनी रूप से
आदान-प्रदान किया, जिससे सीमावर्ती नागरिकों की पहचान
सुनिश्चित हुई और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई।
🔹 संविधान
के अनुच्छेद 368 के तहत संसद ने इस संशोधन को पारित कर
भारतीय संघ की क्षेत्रीय अखंडता को मजबूत किया।
🔹 यह
संशोधन भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंधों, राजनयिक
प्रयासों, और संवैधानिक सिद्धांतों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
📌 "100वां
संविधान संशोधन भारत की राजनयिक उपलब्धि और संवैधानिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है,
जिसने भारत-बांग्लादेश संबंधों को एक नई दिशा दी।" 🚩
अक्सर पूछे जाने
वाले प्रश्न (FAQs) – 100वां संविधान
संशोधन अधिनियम, 2015
1. 100वां
संविधान संशोधन अधिनियम क्या है?
✅ यह अधिनियम भारत और
बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा समझौते (Land Boundary Agreement - LBA) को लागू करने के लिए 2015 में पारित किया गया था,
जिससे दशकों पुराने सीमा विवाद समाप्त हुए।
2. इस
संशोधन के तहत कितने क्षेत्रों का आदान-प्रदान हुआ?
✅ भारत ने 51 और बांग्लादेश ने 111 अंतःक्षेत्र (Enclaves)
सौंपे।
3. कौन-कौन
से भारतीय राज्य इस संशोधन से प्रभावित हुए?
✅ असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय और त्रिपुरा।
4. इस
संशोधन के तहत भारत और बांग्लादेश के बीच कितनी भूमि का आदान-प्रदान हुआ?
✅ इस समझौते के तहत 37,334
एकड़ भूमि का आदान-प्रदान किया गया।
5. भारत और
बांग्लादेश के बीच सीमा कितनी लंबी है?
✅ भारत और बांग्लादेश के
बीच 4,096.7 किलोमीटर लंबी सीमा है, जो
भारत की सबसे लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है।
6. क्या
भारत-बांग्लादेश सीमा समझौते को पहले भी लागू करने की कोशिश की गई थी?
✅ हाँ, 1974 में इंदिरा गांधी और शेख मुजीबुर रहमान के बीच समझौता हुआ था, लेकिन इसे संसद से स्वीकृति नहीं मिली थी। 2011 में
एक संशोधित प्रोटोकॉल बनाया गया, जिसे 2015 में 100वें संविधान संशोधन के माध्यम से लागू किया
गया।
7. संविधान
का कौन सा अनुच्छेद इस संशोधन को लागू करने के लिए बदला गया?
✅ इस संशोधन के तहत संविधान
की पहली अनुसूची (First Schedule) में संशोधन किया गया,
ताकि प्रभावित राज्यों की सीमा को बदला जा सके।
8. इस
संशोधन को लागू करने के लिए संविधान में कौन सा अनुच्छेद उपयोग किया गया?
✅ यह संशोधन संविधान के
अनुच्छेद 368 के तहत पारित किया गया, जो
संसद को संविधान में संशोधन करने की शक्ति देता है।
9. इस
संशोधन को संसद में कब पारित किया गया?
✅ 6 मई 2015 को लोकसभा में और 7 मई 2015 को
राज्यसभा में इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया।
10. इस
संशोधन को राष्ट्रपति की मंजूरी कब मिली?
✅ 28 मई 2015 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और यह 1 अगस्त 2015
से प्रभावी हुआ।
11. इस
संशोधन के बाद कितने लोगों को भारत और बांग्लादेश की नागरिकता प्राप्त हुई?
✅ इस संशोधन के कारण करीब
50,000 लोगों को नागरिकता प्राप्त हुई, जिससे वे सरकारी सेवाओं और सुविधाओं का लाभ उठा सके।
12. इस भूमि
समझौते से भारत और बांग्लादेश के संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ा?
✅ इससे दोनों देशों के राजनयिक
और व्यापारिक संबंधों में सुधार हुआ, साथ ही सीमा सुरक्षा और
अवैध घुसपैठ की समस्याएँ कम हुईं।
13. क्या यह
समझौता भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी?
✅ हाँ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे वैध करार दिया और कहा कि संविधान के तहत संसद
को राज्यों की सीमाओं में बदलाव करने का अधिकार प्राप्त है।
14. इस
समझौते के तहत कौन-सी प्रमुख न्यायिक व्याख्याएँ दी गईं?
✅ Berubari Union Case (1960): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत का कोई भी क्षेत्र किसी अन्य देश को सौंपने
के लिए संविधान संशोधन अनिवार्य है।
✅ State of West
Bengal v. Union of India (1963): अदालत ने स्पष्ट किया कि संविधान
में राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
15. इस
संशोधन से भारत को क्या लाभ हुआ?
✅ सीमा विवाद समाप्त हुए,
अवैध घुसपैठ कम हुई, सीमावर्ती इलाकों में
प्रशासनिक सुधार हुए और बांग्लादेश के साथ संबंध मजबूत हुए।
📌 "भारत
की सीमाओं का पुनर्निर्धारण एक ऐतिहासिक कदम था, जिसने
संविधान की संप्रभुता को बनाए रखते हुए अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुदृढ़
किया।" 🚩