राज्य की परिभाषा:
अनुच्छेद 12 का महत्व और संवैधानिक
विश्लेषण
परिचय
भारतीय संविधान
नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
इसमें अनुच्छेद 12 का विशेष
महत्व है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि "राज्य"
शब्द किन-किन संस्थाओं पर लागू होता है। मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में
नागरिकों को कानूनी संरक्षण मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए
अनुच्छेद 12 आवश्यक है।
अनुच्छेद 12
न केवल सरकार और विधायिका को शामिल करता है, बल्कि
स्थानीय निकायों, सार्वजनिक उपक्रमों और सरकारी
नियंत्रण में काम करने वाली अन्य संस्थाओं को भी इसमें
सम्मिलित किया गया है। भारतीय न्यायपालिका ने भी अपने विभिन्न फैसलों में राज्य की
परिभाषा को विस्तारित और परिभाषित किया है, जिससे नागरिकों
के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
अनुच्छेद 12
की परिभाषा
भारतीय संविधान का अनुच्छेद
12
"राज्य" शब्द की व्याख्या करता है और इसे चार मुख्य भागों
में विभाजित किया गया है:
1️. केंद्र
और राज्य सरकारें – इसमें भारत सरकार और विभिन्न राज्य
सरकारें आती हैं।
2️. संसद
और राज्य विधानसभाएँ – संसद और राज्य विधानमंडल
द्वारा बनाए गए कानून भी अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आते हैं।
3️. स्थानीय
निकाय – नगर निगम, नगर
पालिका, पंचायतें, जिला परिषद आदि।
4️. अन्य
प्राधिकरण – वे निकाय जो सरकार के नियंत्रण में हैं
या जो सार्वजनिक कर्तव्यों का पालन करते हैं।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔹 Electricity
Board, Rajasthan vs Mohan Lal (1967): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
कोई भी निकाय, जो सार्वजनिक कार्य करता है और सरकार के अधीन
होता है, उसे "राज्य" माना जाएगा।
अनुच्छेद 12
का महत्व
अनुच्छेद 12
के तहत "राज्य" की परिभाषा स्पष्ट करना आवश्यक है,
क्योंकि:
🟩 नागरिकों के मौलिक
अधिकारों की रक्षा: यदि कोई सरकारी संस्था या उसके
नियंत्रण में कोई निकाय मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, तो
उस पर न्यायालय में कार्रवाई की जा सकती है।
🟦 जनसेवा
करने वाली संस्थाओं की जवाबदेही: सरकारी संस्थाओं के
अलावा, सरकारी नियंत्रण में चलने वाले बैंक, विद्युत बोर्ड, बीमा कंपनियाँ और विश्वविद्यालय भी
अनुच्छेद 12 के तहत आते हैं।
🟥 निजी
निकायों का दायरा: यदि कोई निजी संस्था सरकारी सहायता
प्राप्त कर रही है और सार्वजनिक कार्य कर रही है, तो उसे भी
अनुच्छेद 12 के तहत "राज्य" माना जा सकता है।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔹 Ajay Hasia vs
Khalid Mujib Sehravardi (1981): इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने
कहा कि यदि कोई संस्था सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही है और सरकार का उस
पर प्रभाव है, तो उसे "राज्य" की श्रेणी में रखा
जा सकता है।
राज्य की परिभाषा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले
1. ज़ी लर्न लिमिटेड बनाम भारत संघ (2010)
🔹 इस
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई निजी संस्था सार्वजनिक हित में कोई
कार्य कर रही है, तो उसे राज्य की परिभाषा में नहीं रखा जा
सकता, जब तक कि वह सरकारी नियंत्रण में न हो।
2. R.D. Shetty vs International Airport Authority (1979)
🔹 न्यायालय
ने स्पष्ट किया कि यदि कोई निजी संस्था सरकारी सहायता से कार्य कर रही है और उस पर
सरकारी नियंत्रण है, तो उसे "राज्य" माना जाएगा।
3. Pradeep Kumar Biswas vs Indian Institute of Chemical Biology (2002)
🔹 इस
फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त
संस्थानों को "राज्य"
तब माना जाएगा, जब सरकार का उस पर व्यापक नियंत्रण हो।
संविधान का
अनुच्छेद 12 – एक संवैधानिक दृष्टिकोण
संविधान का अनुच्छेद
12 स्पष्ट रूप से यह निर्दिष्ट करता है कि "राज्य" में कौन-कौन से
निकाय शामिल हैं और वे नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने पर न्यायिक
कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होंगे।
अनुच्छेद 12
का मूल पाठ:
"इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से
अन्यथा अपेक्षित न हो, 'राज्य' में
भारत सरकार और संसद तथा प्रत्येक राज्य सरकार और उसकी विधायिका शामिल होगी। इसमें
वे सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकरण भी आएंगे जो भारत के राज्यक्षेत्र में या सरकार
के नियंत्रण के अधीन हैं।"
अनुच्छेद 12 का प्रभाव:
✅ यह
सुनिश्चित करता है कि मौलिक अधिकार केवल कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि उनका प्रभावी क्रियान्वयन हो।
✅ यह
नागरिकों को सरकार और उसके संस्थानों के खिलाफ कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
✅ यह स्पष्ट
करता है कि कौन-से निकाय न्यायिक समीक्षा के दायरे में आते हैं।
अनुच्छेद 12
के तहत राज्य की व्यापक परिभाषा
1️.संवैधानिक
संस्थाएँ: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री,
राज्यपाल आदि।
2️.विधायी
निकाय: संसद, राज्य
विधानमंडल।
3️.कार्यपालिका
निकाय: पुलिस, सरकारी
बैंक, सार्वजनिक कंपनियाँ।
4️.न्यायिक
निकाय: न्यायालय भी तब "राज्य" माने जा
सकते हैं जब वे कार्यपालिका के कार्य कर रहे हों।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔹 Union of India
vs R.C. Jain (1981): न्यायालय ने कहा कि जो भी संस्था या निकाय
सरकारी नियंत्रण में है और सार्वजनिक कार्य कर रही है, वह
राज्य के अंतर्गत आएगी।
अनुच्छेद 12
का व्यावहारिक प्रभाव
1. क्या निजी कंपनियाँ "राज्य" के अंतर्गत आती हैं?
✅ यदि कोई
निजी कंपनी सरकारी अनुदान पर चल रही है और सरकार का उस पर व्यापक नियंत्रण है,
तो वह "राज्य" की परिभाषा में आ सकती है।
✅ यदि कोई
निजी कंपनी स्वतंत्र रूप से कार्य कर रही है, तो उसे
"राज्य" नहीं माना जाएगा।
2. क्या सरकारी बैंक और बीमा कंपनियाँ "राज्य" के अंतर्गत आती हैं?
✅ हाँ,
क्योंकि वे सरकारी स्वामित्व में हैं और सरकारी कार्यों का निष्पादन
करती हैं।
3. क्या न्यायपालिका "राज्य" मानी जाती है?
✅ न्यायपालिका
सामान्यतः "राज्य" नहीं मानी जाती, लेकिन यदि वह
प्रशासनिक कार्य करती है (जैसे न्यायिक नियुक्ति करना), तो
उसे "राज्य" की परिभाषा में रखा जा सकता है।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 12
भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो यह निर्धारित करता है कि "राज्य" की परिभाषा में कौन-कौन से
निकाय शामिल होंगे। यह अनुच्छेद नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के
लिए सरकार और सार्वजनिक निकायों के खिलाफ न्यायालय में जाने का अधिकार देता है।
न्यायपालिका के कई ऐतिहासिक फैसलों ने "राज्य" की परिभाषा को स्पष्ट
किया है और यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी सरकारी या सार्वजनिक संस्था नागरिकों
के अधिकारों का उल्लंघन न करे।
📌 संविधान का अनुच्छेद
12:
✅ यह
नागरिकों को सरकारी नियंत्रण वाली संस्थाओं के खिलाफ संवैधानिक संरक्षण प्रदान
करता है।
✅ यह
सुनिश्चित करता है कि सभी सार्वजनिक निकाय, चाहे वे सरकारी
हों या सरकार के प्रभाव में काम कर रहे हों, संवैधानिक
उत्तरदायित्व से बच न सकें।
✅ न्यायिक
फैसलों ने इसकी परिधि को व्यापक बनाकर नागरिक अधिकारों की सुरक्षा को मजबूत किया
है।
"अनुच्छेद
12 केवल एक कानूनी परिभाषा नहीं, बल्कि
नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का एक संवैधानिक उपकरण भी
है।"
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1️. अनुच्छेद
12
क्या है और इसका क्या महत्व है?
✅ अनुच्छेद 12 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो यह
परिभाषित करता है कि "राज्य" की श्रेणी में कौन-कौन से निकाय आते हैं।
यह नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सरकार और सार्वजनिक निकायों
के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार देता है।
📌 महत्व:
🔹 यह
नागरिकों को सरकार और अन्य सार्वजनिक संस्थाओं के खिलाफ संवैधानिक संरक्षण प्रदान
करता है।
🔹 यह
सुनिश्चित करता है कि कोई भी सरकारी निकाय नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
न करे।
🔹 न्यायपालिका
ने इस अनुच्छेद की व्याख्या करके इसकी परिधि को और स्पष्ट किया है।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Electricity
Board, Rajasthan vs Mohan Lal (1967) – इसमें कहा गया कि यदि
कोई निकाय सार्वजनिक कार्य कर रहा है और सरकार के नियंत्रण में है, तो उसे "राज्य" माना जाएगा।
2️. अनुच्छेद
12
किन-किन संस्थाओं को "राज्य" के रूप में परिभाषित करता है?
✅ अनुच्छेद 12 के तहत निम्नलिखित निकाय आते हैं:
1️. केंद्र और राज्य सरकारें
– भारत सरकार और सभी राज्य सरकारें।
2️. संसद
और राज्य विधानसभाएँ – भारत की संसद और विभिन्न
राज्यों की विधानसभाएँ।
3️. स्थानीय
निकाय – नगर निगम, नगर
पालिका, पंचायतें, जिला परिषद आदि।
4️. अन्य
प्राधिकरण – वे निकाय जो सरकार के नियंत्रण में हैं
या सार्वजनिक कार्य करते हैं, जैसे सरकारी बैंक, विद्युत बोर्ड, सार्वजनिक विश्वविद्यालय आदि।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Ajay Hasia vs
Khalid Mujib Sehravardi (1981) – यदि कोई संस्था सरकार से
वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही है और सरकार का उस पर प्रभाव है, तो उसे "राज्य" की श्रेणी में रखा जा सकता है।
3️. क्या
निजी कंपनियाँ अनुच्छेद 12 के तहत
"राज्य" मानी जाती हैं?
✅ सामान्यतः निजी कंपनियाँ
"राज्य" नहीं मानी जातीं, लेकिन कुछ
परिस्थितियों में उन्हें "राज्य" माना जा सकता है:
🔹 यदि वे सरकारी नियंत्रण
में हैं।
🔹 यदि
वे सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त कर रही हैं।
🔹 यदि
वे सार्वजनिक सेवाओं का कार्य कर रही हैं।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 R.D. Shetty vs
International Airport Authority (1979) – इस फैसले में
न्यायालय ने कहा कि यदि कोई निजी संस्था सरकारी सहायता से कार्य कर रही है और उस
पर सरकारी नियंत्रण है, तो उसे "राज्य" माना
जाएगा।
4️. क्या
न्यायपालिका "राज्य" के अंतर्गत आती है?
✅ सामान्यतः न्यायपालिका
"राज्य" नहीं मानी जाती, लेकिन जब न्यायपालिका
कार्यपालिका (Executive) के कार्य करती है,
जैसे न्यायिक नियुक्तियाँ करना, प्रशासनिक
आदेश देना, तब उसे "राज्य" माना जा सकता है।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Naresh
Shridhar Mirajkar vs State of Maharashtra (1966) – इस फैसले
में कहा गया कि न्यायपालिका सामान्यत: "राज्य" नहीं होती, लेकिन यदि वह प्रशासनिक कार्य कर रही है, तो उसे
"राज्य" माना जा सकता है।
5️. क्या
अनुच्छेद 12 का उपयोग मौलिक अधिकारों
की सुरक्षा के लिए किया जा सकता है?
✅ हाँ, यदि कोई सरकारी संस्था या "राज्य" के अंतर्गत आने वाली कोई अन्य
संस्था मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, तो नागरिक
उसके खिलाफ न्यायालय में याचिका दायर कर सकते हैं।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Golaknath vs
State of Punjab (1967) – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौलिक अधिकार
संविधान की "मूल संरचना" (Basic Structure) का
हिस्सा हैं और इन्हें बदला नहीं जा सकता।
6️. क्या
अनुच्छेद 12 की परिभाषा समय के साथ
बदली है?
✅ हाँ, भारतीय न्यायपालिका ने समय-समय पर अनुच्छेद 12 की
व्याख्या को विस्तृत किया है, जिससे इसकी परिभाषा अधिक
व्यापक हुई है।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Zee Learn Ltd.
vs Union of India (2010) – इस फैसले में न्यायालय ने कहा कि
यदि कोई निजी संस्था सार्वजनिक हित में कार्य कर रही है, लेकिन
वह सरकारी नियंत्रण में नहीं है, तो उसे "राज्य"
की परिभाषा में नहीं रखा जा सकता।
7️. क्या
अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आने वाले निकाय
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत उत्तरदायी होते हैं?
✅ हाँ, अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक
संवैधानिक उपाय प्रदान करता है। यदि "राज्य" द्वारा किसी व्यक्ति के
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया जाता है, तो वह सर्वोच्च
न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Kesavananda
Bharati vs State of Kerala (1973) – सर्वोच्च न्यायालय ने कहा
कि मौलिक अधिकार संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं और उन्हें हटाया नहीं जा
सकता।
8️. क्या
सरकारी बैंक और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियाँ अनुच्छेद 12
के अंतर्गत आती हैं?
✅ हाँ, क्योंकि वे सरकार के स्वामित्व में हैं और सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करती
हैं। उदाहरण:
🔹 भारतीय स्टेट बैंक (SBI)
🔹 भारतीय
जीवन बीमा निगम (LIC)
🔹 इंडियन
ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC)
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Union of India
vs R.C. Jain (1981) – न्यायालय ने कहा कि यदि कोई निकाय सरकारी
नियंत्रण में है और सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान करता है, तो वह
"राज्य" के अंतर्गत आएगा।
9️.क्या
अनुच्छेद 12 के तहत विश्वविद्यालय और
शैक्षिक संस्थान "राज्य" माने जाते हैं?
✅ हाँ, यदि वे सरकारी सहायता प्राप्त करते हैं और सरकार का उन पर व्यापक नियंत्रण
है, तो वे "राज्य" की श्रेणी में आते हैं।
📌 महत्वपूर्ण न्यायिक
निर्णय:
🔸 Pradeep Kumar
Biswas vs Indian Institute of Chemical Biology (2002) – न्यायालय
ने कहा कि सरकारी नियंत्रण वाली शैक्षिक संस्थाओं को "राज्य" माना
जाएगा।
विशेष तथ्य
✅ अनुच्छेद 12 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण अनुच्छेद है, जो
"राज्य" की विस्तृत परिभाषा प्रदान करता है।
✅ यह
नागरिकों को सरकार और सार्वजनिक निकायों के खिलाफ अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के
लिए न्यायालय में जाने का अधिकार देता है।
✅ न्यायपालिका
के कई ऐतिहासिक फैसलों ने "राज्य" की परिभाषा को स्पष्ट किया है और
सार्वजनिक उपक्रमों को भी जवाबदेह बनाया है।
📌 "अनुच्छेद 12
सिर्फ एक कानूनी परिभाषा नहीं, बल्कि नागरिकों
को उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का एक संवैधानिक उपकरण भी है।"